Tuesday, April 5, 2016

मजबूत करने

लिंग मजबूत करने का बाजारू प्रयोग
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मल्ल तेल १ ग्राम ,
दालचीनी तेल १ ग्राम ,
श्री गोपाल तेल १० ग्राम
तीनों को मिलाकर किसी अच्छी की शीशी में डालकर रख लें |
रोज रात को ५-६ बूंद लिंग की टोपी बचाकर मालिश करें , लिंग कडक , टाईट , मजबूत , बेलन जैसा सख्त होगा |
लिंग पर पान का पत्ता भी बांध सकते है .
परहेज - सैक्स से परहेज और ठंडे पानी से बचाएं |
सावधानी - इसको लगाने से लिंग में उत्तेजना आती है , अत: हस्तमैथुन से बचें , वर्ना प्रयोग न करें | स्वपनदोष के रोगी ,
धात के रोगी ,
शीघ्रपतन के रोगी इसका प्रयोग न करें |
जवान लड़के इसको प्रयोग न करें |
ज्यादा उम्रदराज लोगों के लिए लाभकारी |
जिन की घरवालीयों को स्फेद पानी की शिकायत हो वो भी इसका प्रयोग करके रतिक्रिया न करें |
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लिंग का पतलापन दूर करने का मेरा अनुभूत नुस्खा :-
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मित्रों बात कुछ यह है कि जैसे बताया जाए अगर वैसे बना लिया जाए तो रिजल्ट तो 101% मिलना ही मिलना है ।
नुस्खा और बनाने की विधि:-
काले कौंच की जड़ ,
सेमल की जड़,
गूलर की जड़,
कनेर की जड़,
असगंध मूल ,
विधारा मूल ।
खोते का मूत्र ,
गोमूत्र।
कौंच की जड़ से लेकर विधारा मूल तक सब औष्धिया समवजन मिलाकर रख लें ।
उसके बाद मिट्टी के खरल में डालदें ।
खोते का ताजा मूत्र डालकर रोज घोटें । मूत्र उतना ही डालें जिससे रोज सूख जाएं । ऐसा 90 दिन करें ।
उसके बाद गोमूत्र में 5 दिन भिगोकर घोटें ।
सुखाकर रख लें ।
प्रयोग विधि :- लिंग को गुनगुने पानी से धोकर अपने थूक ,औरत के मूत्र या दूध से गीला करके दवा को लिंग पर लेप करके पान का पत्ता बांधें । 21 दिन के प्रयोग से आप लिंग में आया मोटापन देखकर हैरान हो जाएगें । अत: यह प्रयोग जरूरतमंद ही करें ,अपनी पत्नि या पार्टनर को तकलीफ देने की नियत से यह प्रयोग कभी न करें । लेकिन जिनकी पार्टनर आपके लिंग की मोटाई से संतुष्ट न हो वह इसका प्रयोग कर सकते है । जिनके पार्टनर का योनिमुख खुला हो वह यह प्रयोग करके खुद और अपने पार्टनर दोनों आनंद मयी जीवन व्यतीत कर सकते है । जो चाहते है कि उनकी पार्टनर का गुप्तअंग कुवांरी लड़की जैसा हो जाए वो मेरी “ औरतों के गुप्त अंग टाईट करने वाली " पोस्टदेख सकते है । 

त्रिफला अवलेह

त्रिफला अवलेह।
3 ग्राम त्रिफला चूर्ण (आंवला, हरड़, बहेड़ा तीनो 1:2:3 के अनुपात से अर्थात एक भाग आंवला, दो भाग बहेड़ा, तीन भाग हरड़ के चूर्ण को मिला कर बनाया हुआ चूर्ण) में 1 ग्राम तिल का तेल और 6 ग्राम शहद मिलाकर रोज़ाना खाली पेट गुनगुने पाने के साथ और रात को सोते समय गर्म दूध के साथ ले, इस से पेट और धातु सम्बंधित सब रोग दूर हो कर काय पलट जाती हैं। ऋषियों ने यहाँ तक कहा हैं के एक मास निरंतर प्रयोग करने से रोगी को निरोग, बूढ़े को जवान और नामर्द को मर्द बना देता हैं। इसके सेवन करने से शरीर की चमक बढ़ती हैं, बवासीर, गर्मी, सुजाक, दाद, खांसी, दमा, बुखार, मर्दाना कमज़ोरी, आदि कई बिमारिया जड़ से खत्म हो जाती हैं।

Friday, April 1, 2016

टाईफ़ायड का उपचार.

टाईफ़ायड का उपचार..
गिलोय घनवटी लीजिए.
बहुत छोटे बच्चे हैं तो आधी गोली
8 से 10 साल के बच्चे हैं तो एक एक गोली
बड़े हैं तो 2 - 2 गोली दिन में तीन बार दें |( सुबह दोपहर शाम )
बड़ों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें ) (8 से 10 मुन्नका )
अंजीर (4 से 5 अंजीर)
खूबकला(राइ से भी छोटा दाना जैंसा होता है ) 2 ग्राम
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
छोटे बच्चों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें )(2 से 3 मुन्नका)
अंजीर (1 से 2 अंजीर)
खूबकला (1 ग्राम)
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
सावधानियां :-
खाने में परहेज करे |
तला-गला न खाएं |
क्या खाएं :-
दूध पियें (देशी गाय का हो तो सबसे अच्छा है )
चीकू खाएं
सेब खाएं
पपीता खाएं
मुंग की दाल का पानी या पतली मुंग की दाल खाएं |
बस ये सब करलें आपका टाईफाईड ठीक हो जायेगा 10 दिन के अन्दर |
ये सभी वस्तु आपको किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाएँगी.

मलेरिया के लक्षण उपाय

मलेरिया के लक्षण उपाय

* मलेरिया ज्वर में जाड़ा लगने के साथ तेज बुखार चढ़ता है| इसमें प्रतिदिन या हर तीसरे-चौथे दिन भी बुखार आ सकता है| यह एक संक्रामक बीमारी मानी जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाती है|

* यह ज्वर वर्ष ऋतू में पानी से भरे गड्ढों में मच्छरों के बैठने के कारण फैलता है| एनोफेलीज मादा मच्छर #मलेरिया के रोगी को काटता है| इसके बाद परजीवी मच्छर जब किसी दूसरे व्यक्ति को काटते हैं तो वह स्वस्थ व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है|

* इस रोग में सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ना और बुखार उतरते समय पसीना आना लक्षण पार्ट होते हैं| मलेरिया रोग गलत खान-पान और दोषपूर्ण जीवन-शैली के कारण होता है| ऐसे में शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते| जब शरीर इन विकारों को सामान्य रीति से नहीं निकाल पाता तो बुखार और पसीने द्वारा उन्हें बाहर निकालता है|

करे ये इलाज :-- * तुलसी के चार पत्ते, करंज की गिरी 3 ग्राम और कालीमिर्च - तीनों को पीसकर सुबह-शाम दूध में सेवन करें|

* नीबू में जरा-सा सेंधा नमक और जरा-सा कालीमिर्च का चूर्ण लगाकर गरम करके धीरे-धीरे चूसें| इससे बुखार की गरमी शान्त हो जाती है|

* तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच, चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें|

* तुलसी, नीम की कोंपले तथा नीबू का रस - तीनों को मिलाकर रोगी को देने से मलेरिया बुखार में काफी लाभ होता है|

* लाल मिर्च पानी में घोलकर गाढ़ी चटनी की तरह बना लें| फिर इस मिर्च की पोटली बनाकर स्त्री की बाईं तथा पुरुष की दाईं बांह (भुजा) में बांध दें| इससे मलेरिया का बुखार उतर जाएगा|

* 1 ग्राम फूली हुई फिटकिरी, 2 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम चीनी-तीनों को मिलाकर दूध या पानी के साथ सेवन करें|

* चिरायता तथा संतरे का रस - दोनों 10-10 ग्राम लेकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं|

* 10 ग्राम हरड़ का चूर्ण एक कप पानी में मिला�
 काढ़ा बनाएं| जब पानी आधा कप रह जाए तो उसमें जरा-सी शक्कर डालकर चार खुराक करें| इसे दिनभर में चार बार पिलाएं| मलेरिया सिर पर पैर रखकर भाग जाएगा|

* सादा खाने का नमक पिसा हुआ लेकर तवे पर इतना सेंके कि उसका रंग काला भूराहो जाये । ठण्डा होने पर शीशी में भर लें । मलेरिया, विषम ज्वर, एंकातरा - पारीतिजारी, चौथारी, चौथारी बुखारों की खास दवा है । ज्वर आने से पहले छ: ग्रामभुना नमक एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर दें| इन दो खुराकों में ज्वर चला जायेगा ।

* जामुन के पेड़ की छाल 5 ग्राम लेकर पीस डालें| फिर उसमें जरा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें|

* एक चम्मच प्याज के रस में दो-तीन कलीमिर्चों का चूर्ण मिलाकर नित्य सेवन करें|

* नीम की थोड़ी-सी कोंपलों में चार-पांच कालीमिर्च और जरा-सा नमक मिलाकर चटनी बना लें| इसका सेवन सुबह-शाम करें|

* तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च सुबह-शाम कुचलकर खाने से मलेरिया बुखार नहीं चढ़ता|

* मलेरिया बुखार चढ़ने के समय से पहले लहसुन का रस हाथ-पैर के नाखूनों पर लगा लें|

* अमरूद को भूमल में भूनकर खाने से मलेरिया का रोग चला जाता है|

* नारंगी के छिलकों को पानी में उबालकर केवल पानी पी जाएं|

क्या खाये :--

* मलेरिया बुखार में रोगी को आलूबुखारा, चीकू, संतरा, अंगूर, चकोतरा, मौसमी, अनार, प्याज, पुदीना एवं साबूदाना आदि देना चाहिए| अधिक तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी मरीज के पूरे शरीर पर बार-बार रखनी चाहिए| इसके अलावा लौकी के गोल कटे हुए टुकड़ों से हथेलियों और तलवों को भी मला जा सकता है|

* गड्ढों, नालियों तथा पोखरों के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि मच्छर इन्हीं स्थानों पर अण्डे देते हैं| सीलन भरे स्थानों तथा नालियों पर डी.डी.टी., मिट्टी का तेल, बी. एच. सी., तम्बाकू का घोल आदि छिड़कना चाहिए ताकि मच्छर नष्ट हो जाएं| बच्चों को निर्देश दें कि वे इधर-उधर न थूकें, मुंह में उंगली न डालें,
, खेल के बाद हाथों को साबुन से धोएं तथा नाली में गिरी गेंद निकालने के बाद साफ पानी से धोकर खेलें| पानी सदा उबालकर पिएं| फलों, सब्जियों तथा तरकारियों को अच्छे पानी से धोकर उपयोग में लाएं| खुली चीजों का सेवन न करें|

करेला

करेला
हमारे शरीर में छ: रस चाहिए - मीठा, खट्टा, खारा, तीखा, कषाय और कड़वा | पांच रस, खट्टा/खारा/तीखा, तो बहुत खाते हैं लेकिन कड़वा नहीं खाते हैं | कड़वा कुदरत ने करेला बनाया है लेकिन करेले को निचोड़ के उस की कड़वाहट निकाल देते हैं | करेले का छिलका नहीं उतारना चाहिए और उसका कड़वा रस नहीं निकालना चाहिए | हफ्ते में, पन्दरह दिन में एक दिन करेला खाना तबियत के लिए अच्छा है |
करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट,फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है।

स्त्री-स्वास्थ्य


स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद
यदि आपको शुरुआती बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये ।
अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है ।

गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा । किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बच्चा पैदा होने के 10-12दिन बाद
दशमुलारिस्ट जरूर 3-4 महीनों तक पिलायें अगर नॉर्मल हुआ है तो अगर ऑपरेशन हुआ है तो कम से कम टाँके सूखने तक  ।
 इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ ।

बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है ।

सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए।
ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है । पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता ।

ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है ।
किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है । 🍃🍃🍃🍃🍃🍃
किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं ।

चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें।
बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है ।
 सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है ।
जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है ।
जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये।
 पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा ।
या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃फ़िर भी सबसे अच्छा उपाय पुरष का कोंडोम  प्रयोग है

कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये ( सुबह सवेरे खाली पेट )🍃🍃
खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर ( लगभग ३-४ ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म । आवाज भी सुरीली हो जायेगी।

खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा की एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मेथी का पाउडर, एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये, एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं ।
फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें।
 एक महीना कुछ मत लीजिये ।
फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए,

इनकी मात्रा कम से ही शुरू करें आपने शरीर के हिसाब से बढ़ाये कोई भी नयी चीज़ हमारे शरीर के लिये अच्छी है या बुरी इसका पता एक हफ्ते मे चल जाता है
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गर्भ न ठहर पाने की स्थिति को बन्ध्यापन (बांझपन) कहते हैं। पुरुषों के शुक्र दोष और स्त्रियों के रजोदोष के कारण ही ऐसा होता है। अत: बंध्यापन चिकित्सा में पुरुषों के वीर्य में वीर्य कीटों को स्वस्थ करने, वीर्य को शुद्ध करने की व्यवस्था करें और स्त्रियों को रजोदोष से मुक्ति करें। इससे संतान की प्राप्ति होगी। बंध्या दोष दो प्रकार का होता है। पहला प्राकृतिक जो जन्म से ही होता है। दूसरा जो किन्ही कारणों से हो जाता है। इसमें पहले प्रकार के बांझपन की औषधि नहीं है। दूसरे प्रकार के बांझपन की औषधियां हैं। जिनके सेवन से बांझपन दूर हो जाता है। कारण: किसी भी प्रकार का योनि रोग, मासिक-धर्म का बंद हो जाना, प्रदर, गर्भाशय में हवा का भर जाना, गर्भाशय पर मांस का बढ़ जाना, गर्भाशय में कीड़े पड़ जाना, गर्भाशय का वायु वेग से ठंडा हो जाना, गर्भाशय का उलट जाना अथवा जल जाना आदि कारणों से स्त्रियों में गर्भ नहीं ठहरता है। इन दोषों के अतिरिक्त कुछ स्त्रियां जन्मजात वन्ध्या (बांझ) भी होती है। जिन स्त्रियों के बच्चे होकर मर जाते हैं। उन्हें ``मृतवत्सा वन्ध्या`` तथा जिनके केवल एक ही संतान होकर फिर नहीं होती है तो उन्हें `काक वन्ध्या` कहते हैं। लक्षण: बांझपन का लक्षण गर्भ का धारण नहीं करना होता है। विभिन्न औषधियों से उपचार: मैनफल मैनफल के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम केशर के साथ शक्कर मिले दूध के साथ सेवन करने से बन्ध्यापन अवश्य दूर होता है। साथ ही मैनफल के बीजों का चूर्ण 8 से 10 रत्ती गुड़ में मिलाकर बत्ती बनाकर योनि में धारण करना चाहिए। दोनों प्रकार की औषधियों के प्रयोग से गर्भाशय की सूजन, मासिक-धर्म का कष्ट के साथ आना, अनियमित स्राव आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। दालचीनी वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि प्रतिदिन तक सोते समय दो बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाएगी। जिस स्त्री के गर्भाधान ही नहीं होता, वह चुटकी भर दालचीनी पावडर एक चम्मच शहद में मिलाकर अपने मसूढ़ों में दिन में कई बार लगायें। थूंके नहीं। इससे यह लार में मिलकर शरीर में चला जाएगा। एक दम्पत्ति को 14 वर्ष से संतान नहीं हुई थी, महिला ने इस विधि से मसूढ़ों पर दालचीनी, शहद लगाया, वह कुछ ही महीनों में गर्भवती हो गई और उसने पूर्ण विकसित दो सुन्दर जुड़वा बच्चों का जन्म दिया। गुग्गुल गुग्गुल एक ग्राम और रसौत को मक्खन के साथ मिलाकर प्रतिदिन तीन खुराक सेवन करने से श्वेतप्रदर के कारण जो बन्ध्यापन होता है। वह दूर हो जाता है। अर्थात श्वेतप्रदर दूर होकर बन्ध्यापन (बांझपन) नष्ट हो जाता है।
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महिला गुप्त अंग का ढ़ीलापन दूर करने के उपाय :-
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कारण :-पति सहवास में अति करने, अप्राकृतिक एवं असुविधापूर्ण आसनों में अति वेग के साथ सहवास करने, अति प्रसव करने और शरीर के कमजोर एवं शिथिल होने के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग ढीला, पोला और विस्तीर्ण हो जाता है, जिससे सहवास करते समय सुख एवं आनन्द की अनुभूति नहीं होती।
ऐसी स्थिति में प्रायः पति लोग सहवास क्रिया में रुचि नहीं ले पाते और कोई-कोई पति परस्त्रीगमन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। विलासी एवं रसिक स्वभाव के पति घर की सुन्दर नौकरानियों से ही यौन संबंध कायम कर लेते हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय उपयोगी एवं कारामद सिद्ध हुए हैं।
चिकित्सा:-
(1)
भांग को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को 5-6 ग्राम (एक छोटा चम्मचभर) मात्रा में, एक महीन मलमल के साफ सफेद कपड़े पर रखकर छोटी सी पोटली बनाकर मजबूत धागे से बांध दें। धागा लम्बा रखें, ताकि धागे को खींचकर पोटली बाहर खींची जा सके। रात को सोते समय इस पोटली को पानी में डुबोकर गीली कर लें एवं योनि मार्ग में अन्दर तक सरकाकर रख लें और सुबह निकालकर फेंक दें। लाभ न होने तक यह प्रयोग जारी रखें।
(2)
माजूफल का चूर्ण 100 ग्राम मोचरस का चूर्ण 50 ग्राम और लाल फिटकरी 25 ग्राम। सबको कूट-पीसकर मिलाकर रखें। पहले 20 ग्राम खड़े मूंग 3 कप पानी में खूब उबालें और बाद में छानकर इस पानी से डूश करें। एक रूई का बड़ा फाहा पानी में गीला कर निचोड़ लें और इस पर ऊपर बताया चूर्ण बुरककर यह फाहा सोते समय योनि में रखें। इन दोनों में से कोई एक प्रयोग कुछ दिन तक करने से योनि तंग और सुदृढ़ हो जाती है।

पेट दर्द,उदर पीडा में हितकारी सरल उपचार

पेट दर्द,उदर पीडा में हितकारी सरल उपचार --
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पेट में पीडा abdominal colic होने की व्याधि वक्ष(छाती) से तलपेट के मध्य के क्षेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती है।यह पीडा कुछ समय के लिये मामूली किस्म की अथवा लम्बे समय तक होने वाली गंभीर प्रकार की हो सकती है। पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं।पेट में स्थित लिवर,गाल ब्लाडर ,आमाषय,पेनक्रियास(अग्नाषय)और आतों में विकार आ जाने से पेट दर्द पैदा होता है। एक या अधिक अंग प्रभावित होते हैं।
पेट दर्द के मुख्य कारण कब्ज का होना, अपच, ज्यादा गैस बनना, आमाषय और आंतों में व्रण बन जाना, आंत्र पुच्छ प्रदाह होना, गाल ब्लाडर अथवा किडनी में पथरी निर्माण होना ,विषाक्त भोजन सेवन करना आदि हैं।
पेट दर्द निवारण के लिये निम्न उपचार लाभदायक सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्कासित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीयें।। बहुत गुणकारी उपचार है।
16) आयुर्वेद के अनुसार हींग दर्द निवारक और पित्तव‌र्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन बेहद लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोडी सी हींग को एक चम्मच पानी में घोलकर पका लें। फिर बच्चे की नाभि के चारों लगा दें। कुछ देर बाद दर्द दूर हो जाता है।
१७) नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है