Tuesday, April 5, 2016

मजबूत करने

लिंग मजबूत करने का बाजारू प्रयोग
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मल्ल तेल १ ग्राम ,
दालचीनी तेल १ ग्राम ,
श्री गोपाल तेल १० ग्राम
तीनों को मिलाकर किसी अच्छी की शीशी में डालकर रख लें |
रोज रात को ५-६ बूंद लिंग की टोपी बचाकर मालिश करें , लिंग कडक , टाईट , मजबूत , बेलन जैसा सख्त होगा |
लिंग पर पान का पत्ता भी बांध सकते है .
परहेज - सैक्स से परहेज और ठंडे पानी से बचाएं |
सावधानी - इसको लगाने से लिंग में उत्तेजना आती है , अत: हस्तमैथुन से बचें , वर्ना प्रयोग न करें | स्वपनदोष के रोगी ,
धात के रोगी ,
शीघ्रपतन के रोगी इसका प्रयोग न करें |
जवान लड़के इसको प्रयोग न करें |
ज्यादा उम्रदराज लोगों के लिए लाभकारी |
जिन की घरवालीयों को स्फेद पानी की शिकायत हो वो भी इसका प्रयोग करके रतिक्रिया न करें |
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लिंग का पतलापन दूर करने का मेरा अनुभूत नुस्खा :-
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मित्रों बात कुछ यह है कि जैसे बताया जाए अगर वैसे बना लिया जाए तो रिजल्ट तो 101% मिलना ही मिलना है ।
नुस्खा और बनाने की विधि:-
काले कौंच की जड़ ,
सेमल की जड़,
गूलर की जड़,
कनेर की जड़,
असगंध मूल ,
विधारा मूल ।
खोते का मूत्र ,
गोमूत्र।
कौंच की जड़ से लेकर विधारा मूल तक सब औष्धिया समवजन मिलाकर रख लें ।
उसके बाद मिट्टी के खरल में डालदें ।
खोते का ताजा मूत्र डालकर रोज घोटें । मूत्र उतना ही डालें जिससे रोज सूख जाएं । ऐसा 90 दिन करें ।
उसके बाद गोमूत्र में 5 दिन भिगोकर घोटें ।
सुखाकर रख लें ।
प्रयोग विधि :- लिंग को गुनगुने पानी से धोकर अपने थूक ,औरत के मूत्र या दूध से गीला करके दवा को लिंग पर लेप करके पान का पत्ता बांधें । 21 दिन के प्रयोग से आप लिंग में आया मोटापन देखकर हैरान हो जाएगें । अत: यह प्रयोग जरूरतमंद ही करें ,अपनी पत्नि या पार्टनर को तकलीफ देने की नियत से यह प्रयोग कभी न करें । लेकिन जिनकी पार्टनर आपके लिंग की मोटाई से संतुष्ट न हो वह इसका प्रयोग कर सकते है । जिनके पार्टनर का योनिमुख खुला हो वह यह प्रयोग करके खुद और अपने पार्टनर दोनों आनंद मयी जीवन व्यतीत कर सकते है । जो चाहते है कि उनकी पार्टनर का गुप्तअंग कुवांरी लड़की जैसा हो जाए वो मेरी “ औरतों के गुप्त अंग टाईट करने वाली " पोस्टदेख सकते है । 

त्रिफला अवलेह

त्रिफला अवलेह।
3 ग्राम त्रिफला चूर्ण (आंवला, हरड़, बहेड़ा तीनो 1:2:3 के अनुपात से अर्थात एक भाग आंवला, दो भाग बहेड़ा, तीन भाग हरड़ के चूर्ण को मिला कर बनाया हुआ चूर्ण) में 1 ग्राम तिल का तेल और 6 ग्राम शहद मिलाकर रोज़ाना खाली पेट गुनगुने पाने के साथ और रात को सोते समय गर्म दूध के साथ ले, इस से पेट और धातु सम्बंधित सब रोग दूर हो कर काय पलट जाती हैं। ऋषियों ने यहाँ तक कहा हैं के एक मास निरंतर प्रयोग करने से रोगी को निरोग, बूढ़े को जवान और नामर्द को मर्द बना देता हैं। इसके सेवन करने से शरीर की चमक बढ़ती हैं, बवासीर, गर्मी, सुजाक, दाद, खांसी, दमा, बुखार, मर्दाना कमज़ोरी, आदि कई बिमारिया जड़ से खत्म हो जाती हैं।

Friday, April 1, 2016

टाईफ़ायड का उपचार.

टाईफ़ायड का उपचार..
गिलोय घनवटी लीजिए.
बहुत छोटे बच्चे हैं तो आधी गोली
8 से 10 साल के बच्चे हैं तो एक एक गोली
बड़े हैं तो 2 - 2 गोली दिन में तीन बार दें |( सुबह दोपहर शाम )
बड़ों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें ) (8 से 10 मुन्नका )
अंजीर (4 से 5 अंजीर)
खूबकला(राइ से भी छोटा दाना जैंसा होता है ) 2 ग्राम
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
छोटे बच्चों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें )(2 से 3 मुन्नका)
अंजीर (1 से 2 अंजीर)
खूबकला (1 ग्राम)
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
सावधानियां :-
खाने में परहेज करे |
तला-गला न खाएं |
क्या खाएं :-
दूध पियें (देशी गाय का हो तो सबसे अच्छा है )
चीकू खाएं
सेब खाएं
पपीता खाएं
मुंग की दाल का पानी या पतली मुंग की दाल खाएं |
बस ये सब करलें आपका टाईफाईड ठीक हो जायेगा 10 दिन के अन्दर |
ये सभी वस्तु आपको किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाएँगी.

मलेरिया के लक्षण उपाय

मलेरिया के लक्षण उपाय

* मलेरिया ज्वर में जाड़ा लगने के साथ तेज बुखार चढ़ता है| इसमें प्रतिदिन या हर तीसरे-चौथे दिन भी बुखार आ सकता है| यह एक संक्रामक बीमारी मानी जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाती है|

* यह ज्वर वर्ष ऋतू में पानी से भरे गड्ढों में मच्छरों के बैठने के कारण फैलता है| एनोफेलीज मादा मच्छर #मलेरिया के रोगी को काटता है| इसके बाद परजीवी मच्छर जब किसी दूसरे व्यक्ति को काटते हैं तो वह स्वस्थ व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है|

* इस रोग में सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ना और बुखार उतरते समय पसीना आना लक्षण पार्ट होते हैं| मलेरिया रोग गलत खान-पान और दोषपूर्ण जीवन-शैली के कारण होता है| ऐसे में शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते| जब शरीर इन विकारों को सामान्य रीति से नहीं निकाल पाता तो बुखार और पसीने द्वारा उन्हें बाहर निकालता है|

करे ये इलाज :-- * तुलसी के चार पत्ते, करंज की गिरी 3 ग्राम और कालीमिर्च - तीनों को पीसकर सुबह-शाम दूध में सेवन करें|

* नीबू में जरा-सा सेंधा नमक और जरा-सा कालीमिर्च का चूर्ण लगाकर गरम करके धीरे-धीरे चूसें| इससे बुखार की गरमी शान्त हो जाती है|

* तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच, चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करें|

* तुलसी, नीम की कोंपले तथा नीबू का रस - तीनों को मिलाकर रोगी को देने से मलेरिया बुखार में काफी लाभ होता है|

* लाल मिर्च पानी में घोलकर गाढ़ी चटनी की तरह बना लें| फिर इस मिर्च की पोटली बनाकर स्त्री की बाईं तथा पुरुष की दाईं बांह (भुजा) में बांध दें| इससे मलेरिया का बुखार उतर जाएगा|

* 1 ग्राम फूली हुई फिटकिरी, 2 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम चीनी-तीनों को मिलाकर दूध या पानी के साथ सेवन करें|

* चिरायता तथा संतरे का रस - दोनों 10-10 ग्राम लेकर रोगी को सुबह शाम पिलाएं|

* 10 ग्राम हरड़ का चूर्ण एक कप पानी में मिला�
 काढ़ा बनाएं| जब पानी आधा कप रह जाए तो उसमें जरा-सी शक्कर डालकर चार खुराक करें| इसे दिनभर में चार बार पिलाएं| मलेरिया सिर पर पैर रखकर भाग जाएगा|

* सादा खाने का नमक पिसा हुआ लेकर तवे पर इतना सेंके कि उसका रंग काला भूराहो जाये । ठण्डा होने पर शीशी में भर लें । मलेरिया, विषम ज्वर, एंकातरा - पारीतिजारी, चौथारी, चौथारी बुखारों की खास दवा है । ज्वर आने से पहले छ: ग्रामभुना नमक एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर दें| इन दो खुराकों में ज्वर चला जायेगा ।

* जामुन के पेड़ की छाल 5 ग्राम लेकर पीस डालें| फिर उसमें जरा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करें|

* एक चम्मच प्याज के रस में दो-तीन कलीमिर्चों का चूर्ण मिलाकर नित्य सेवन करें|

* नीम की थोड़ी-सी कोंपलों में चार-पांच कालीमिर्च और जरा-सा नमक मिलाकर चटनी बना लें| इसका सेवन सुबह-शाम करें|

* तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च सुबह-शाम कुचलकर खाने से मलेरिया बुखार नहीं चढ़ता|

* मलेरिया बुखार चढ़ने के समय से पहले लहसुन का रस हाथ-पैर के नाखूनों पर लगा लें|

* अमरूद को भूमल में भूनकर खाने से मलेरिया का रोग चला जाता है|

* नारंगी के छिलकों को पानी में उबालकर केवल पानी पी जाएं|

क्या खाये :--

* मलेरिया बुखार में रोगी को आलूबुखारा, चीकू, संतरा, अंगूर, चकोतरा, मौसमी, अनार, प्याज, पुदीना एवं साबूदाना आदि देना चाहिए| अधिक तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टी मरीज के पूरे शरीर पर बार-बार रखनी चाहिए| इसके अलावा लौकी के गोल कटे हुए टुकड़ों से हथेलियों और तलवों को भी मला जा सकता है|

* गड्ढों, नालियों तथा पोखरों के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि मच्छर इन्हीं स्थानों पर अण्डे देते हैं| सीलन भरे स्थानों तथा नालियों पर डी.डी.टी., मिट्टी का तेल, बी. एच. सी., तम्बाकू का घोल आदि छिड़कना चाहिए ताकि मच्छर नष्ट हो जाएं| बच्चों को निर्देश दें कि वे इधर-उधर न थूकें, मुंह में उंगली न डालें,
, खेल के बाद हाथों को साबुन से धोएं तथा नाली में गिरी गेंद निकालने के बाद साफ पानी से धोकर खेलें| पानी सदा उबालकर पिएं| फलों, सब्जियों तथा तरकारियों को अच्छे पानी से धोकर उपयोग में लाएं| खुली चीजों का सेवन न करें|

करेला

करेला
हमारे शरीर में छ: रस चाहिए - मीठा, खट्टा, खारा, तीखा, कषाय और कड़वा | पांच रस, खट्टा/खारा/तीखा, तो बहुत खाते हैं लेकिन कड़वा नहीं खाते हैं | कड़वा कुदरत ने करेला बनाया है लेकिन करेले को निचोड़ के उस की कड़वाहट निकाल देते हैं | करेले का छिलका नहीं उतारना चाहिए और उसका कड़वा रस नहीं निकालना चाहिए | हफ्ते में, पन्दरह दिन में एक दिन करेला खाना तबियत के लिए अच्छा है |
करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट,फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है।

स्त्री-स्वास्थ्य


स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद
यदि आपको शुरुआती बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये ।
अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है ।

गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा । किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बच्चा पैदा होने के 10-12दिन बाद
दशमुलारिस्ट जरूर 3-4 महीनों तक पिलायें अगर नॉर्मल हुआ है तो अगर ऑपरेशन हुआ है तो कम से कम टाँके सूखने तक  ।
 इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ ।

बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है ।

सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए।
ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है । पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता ।

ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है ।
किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है । 🍃🍃🍃🍃🍃🍃
किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं ।

चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें।
बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है ।
 सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है ।
जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है ।
जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये।
 पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा ।
या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃फ़िर भी सबसे अच्छा उपाय पुरष का कोंडोम  प्रयोग है

कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये ( सुबह सवेरे खाली पेट )🍃🍃
खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर ( लगभग ३-४ ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म । आवाज भी सुरीली हो जायेगी।

खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा की एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मेथी का पाउडर, एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये, एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं ।
फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें।
 एक महीना कुछ मत लीजिये ।
फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए,

इनकी मात्रा कम से ही शुरू करें आपने शरीर के हिसाब से बढ़ाये कोई भी नयी चीज़ हमारे शरीर के लिये अच्छी है या बुरी इसका पता एक हफ्ते मे चल जाता है
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गर्भ न ठहर पाने की स्थिति को बन्ध्यापन (बांझपन) कहते हैं। पुरुषों के शुक्र दोष और स्त्रियों के रजोदोष के कारण ही ऐसा होता है। अत: बंध्यापन चिकित्सा में पुरुषों के वीर्य में वीर्य कीटों को स्वस्थ करने, वीर्य को शुद्ध करने की व्यवस्था करें और स्त्रियों को रजोदोष से मुक्ति करें। इससे संतान की प्राप्ति होगी। बंध्या दोष दो प्रकार का होता है। पहला प्राकृतिक जो जन्म से ही होता है। दूसरा जो किन्ही कारणों से हो जाता है। इसमें पहले प्रकार के बांझपन की औषधि नहीं है। दूसरे प्रकार के बांझपन की औषधियां हैं। जिनके सेवन से बांझपन दूर हो जाता है। कारण: किसी भी प्रकार का योनि रोग, मासिक-धर्म का बंद हो जाना, प्रदर, गर्भाशय में हवा का भर जाना, गर्भाशय पर मांस का बढ़ जाना, गर्भाशय में कीड़े पड़ जाना, गर्भाशय का वायु वेग से ठंडा हो जाना, गर्भाशय का उलट जाना अथवा जल जाना आदि कारणों से स्त्रियों में गर्भ नहीं ठहरता है। इन दोषों के अतिरिक्त कुछ स्त्रियां जन्मजात वन्ध्या (बांझ) भी होती है। जिन स्त्रियों के बच्चे होकर मर जाते हैं। उन्हें ``मृतवत्सा वन्ध्या`` तथा जिनके केवल एक ही संतान होकर फिर नहीं होती है तो उन्हें `काक वन्ध्या` कहते हैं। लक्षण: बांझपन का लक्षण गर्भ का धारण नहीं करना होता है। विभिन्न औषधियों से उपचार: मैनफल मैनफल के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम केशर के साथ शक्कर मिले दूध के साथ सेवन करने से बन्ध्यापन अवश्य दूर होता है। साथ ही मैनफल के बीजों का चूर्ण 8 से 10 रत्ती गुड़ में मिलाकर बत्ती बनाकर योनि में धारण करना चाहिए। दोनों प्रकार की औषधियों के प्रयोग से गर्भाशय की सूजन, मासिक-धर्म का कष्ट के साथ आना, अनियमित स्राव आदि विकार नष्ट हो जाते हैं। दालचीनी वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि प्रतिदिन तक सोते समय दो बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाएगी। जिस स्त्री के गर्भाधान ही नहीं होता, वह चुटकी भर दालचीनी पावडर एक चम्मच शहद में मिलाकर अपने मसूढ़ों में दिन में कई बार लगायें। थूंके नहीं। इससे यह लार में मिलकर शरीर में चला जाएगा। एक दम्पत्ति को 14 वर्ष से संतान नहीं हुई थी, महिला ने इस विधि से मसूढ़ों पर दालचीनी, शहद लगाया, वह कुछ ही महीनों में गर्भवती हो गई और उसने पूर्ण विकसित दो सुन्दर जुड़वा बच्चों का जन्म दिया। गुग्गुल गुग्गुल एक ग्राम और रसौत को मक्खन के साथ मिलाकर प्रतिदिन तीन खुराक सेवन करने से श्वेतप्रदर के कारण जो बन्ध्यापन होता है। वह दूर हो जाता है। अर्थात श्वेतप्रदर दूर होकर बन्ध्यापन (बांझपन) नष्ट हो जाता है।
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महिला गुप्त अंग का ढ़ीलापन दूर करने के उपाय :-
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कारण :-पति सहवास में अति करने, अप्राकृतिक एवं असुविधापूर्ण आसनों में अति वेग के साथ सहवास करने, अति प्रसव करने और शरीर के कमजोर एवं शिथिल होने के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग ढीला, पोला और विस्तीर्ण हो जाता है, जिससे सहवास करते समय सुख एवं आनन्द की अनुभूति नहीं होती।
ऐसी स्थिति में प्रायः पति लोग सहवास क्रिया में रुचि नहीं ले पाते और कोई-कोई पति परस्त्रीगमन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। विलासी एवं रसिक स्वभाव के पति घर की सुन्दर नौकरानियों से ही यौन संबंध कायम कर लेते हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय उपयोगी एवं कारामद सिद्ध हुए हैं।
चिकित्सा:-
(1)
भांग को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को 5-6 ग्राम (एक छोटा चम्मचभर) मात्रा में, एक महीन मलमल के साफ सफेद कपड़े पर रखकर छोटी सी पोटली बनाकर मजबूत धागे से बांध दें। धागा लम्बा रखें, ताकि धागे को खींचकर पोटली बाहर खींची जा सके। रात को सोते समय इस पोटली को पानी में डुबोकर गीली कर लें एवं योनि मार्ग में अन्दर तक सरकाकर रख लें और सुबह निकालकर फेंक दें। लाभ न होने तक यह प्रयोग जारी रखें।
(2)
माजूफल का चूर्ण 100 ग्राम मोचरस का चूर्ण 50 ग्राम और लाल फिटकरी 25 ग्राम। सबको कूट-पीसकर मिलाकर रखें। पहले 20 ग्राम खड़े मूंग 3 कप पानी में खूब उबालें और बाद में छानकर इस पानी से डूश करें। एक रूई का बड़ा फाहा पानी में गीला कर निचोड़ लें और इस पर ऊपर बताया चूर्ण बुरककर यह फाहा सोते समय योनि में रखें। इन दोनों में से कोई एक प्रयोग कुछ दिन तक करने से योनि तंग और सुदृढ़ हो जाती है।

पेट दर्द,उदर पीडा में हितकारी सरल उपचार

पेट दर्द,उदर पीडा में हितकारी सरल उपचार --
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पेट में पीडा abdominal colic होने की व्याधि वक्ष(छाती) से तलपेट के मध्य के क्षेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती है।यह पीडा कुछ समय के लिये मामूली किस्म की अथवा लम्बे समय तक होने वाली गंभीर प्रकार की हो सकती है। पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं।पेट में स्थित लिवर,गाल ब्लाडर ,आमाषय,पेनक्रियास(अग्नाषय)और आतों में विकार आ जाने से पेट दर्द पैदा होता है। एक या अधिक अंग प्रभावित होते हैं।
पेट दर्द के मुख्य कारण कब्ज का होना, अपच, ज्यादा गैस बनना, आमाषय और आंतों में व्रण बन जाना, आंत्र पुच्छ प्रदाह होना, गाल ब्लाडर अथवा किडनी में पथरी निर्माण होना ,विषाक्त भोजन सेवन करना आदि हैं।
पेट दर्द निवारण के लिये निम्न उपचार लाभदायक सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्कासित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीयें।। बहुत गुणकारी उपचार है।
16) आयुर्वेद के अनुसार हींग दर्द निवारक और पित्तव‌र्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन बेहद लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोडी सी हींग को एक चम्मच पानी में घोलकर पका लें। फिर बच्चे की नाभि के चारों लगा दें। कुछ देर बाद दर्द दूर हो जाता है।
१७) नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है

सॉराइसिस बढ़िया इलाज

सॉराइसिस की एक बहुत ही बढ़िया इलाज बता देता हूँ बहुतों पर किया है एक ही वार मॆं पूर्ण फायदा हुआ है

इलाज

किसी भी जानवर की जेर को लग़ा ले यानी चुपड ले बिना टोके और पीछे मूड के न देखे
  आराम होगा
आजमाया हुआ प्रयोग है
जब भी कोई भी पशु या देसी गऊ माता बच्चे को जन्म देती है जो बच्चा होने के बाद निचे की तरफ सफेद ललाट सी होती है उसे जेर कहते है यह हर पशू को बच्चा पैदा करने के बाद गिरती है

अपच के उपाय

अपच के लक्षण और अपच के आयुवेर्दिक उपाय :-

जब खाना ठीक से नहीं पचता है तब अजीर्ण, अपच होने लगती है। अजीर्ण के मुख्य लक्षण और कारण हैं। मीठे का ज्यादा प्रयोग करना, बार-बार खाना खाते रहना, बासी खाने का सेवन, पानी कम पीना, आदि। अजीर्ण के मुख्य लक्षण हैं खट्टी डकार आना, गैस बनना, पेट में दर्द, छाती में जलन होना आदि। लेकिन अब आपको अजीर्ण से परेशान होने की जरूरत नहीं है आयुर्वेद में दिए गए हैं अजीर्ण से बचने के आसान तरीके।

अजीर्ण और अपच के आयुवेर्दिक उपाय :

1. पपीता को छिलकर उसमें सेंधा नमक और पिसी हुई काली मिर्च बुरक कर सेवन करने से अजीर्ण ठीक हो जाता है।
2. नींबू को काटकर उसमें सेंधा नमक लगाकर चाटने से अपच और अजीर्ण से मुक्ति मिलती है।
3. उपवास के दिन कई बार अजीर्ण आना स्वभाविक है। एैसे में पानी में नींबू का रस घोलकर पीने से लाभ मिलता है।
4. मूली पर नमक और पीसी काली मिर्च को बुरक कर खाने से खाना पच जाता है और अजीर्ण भी नहीं होता।
5. काली मिर्च, तुलसी को खाना खाने के बाद सेवन करने से अजीर्ण की समस्या दूर होती है।
6. सिका हुआ जीरा, नमक और काली मिर्च को दही में डालकर सेवन करने से खाना जल्दी पच जाता है।
7. एक गिलास नारंगी के रस का सेवन करने से अपच की दिक्कत दूर हो जाती है।
8. सेंधा नमक को 1 चम्मच पिसी अजवायन में मिलाकर खाली पेट पानी के साथ लेने से कभी अजीर्ण नहीं होगा।
9. अमरूद काटकर उसमें काला नमक मिलाकर खाने से अपच की समस्या नहीं होती है।
10. आधा कप पानी में 2 लौंग डालकर उसे उबाल लें और फिर उसे ठंडा होने दें, नित्य दिन में 3 बारी इस पानी का सेवन करें जरूर लाभ मिलेगा।
11. फूलगोभी का रस और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से थोड़े ही दिनों में ही अपच की समस्या दूर हो जाएगी।
12. खट्टी डकार आने पर आधे गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर चीनी मिलाकर पीने से खट्टी डकार आनी बंद हो जाती है।
13. एक गिलास पानी में दो चम्मच जीरा डालकर उसे उबाल लें और उसे ठंडा करके छान लें और इस पानी को नियमित पीते रहें। थोड़े ही दिनों में अपच की दिक्कत दूर हो जाएगी।
14. राई को पीसकर पानी में घोलकर पीने से अपच और अजीर्ण नहीं होता है।

अपच और अजीर्ण की वजह से बड़ी परेशानी होती है। इसलिए कोशिश करें बासी खाना न खाएं और जितना हो सके पानी को अधिक पीएं। इन आयुवेर्दिक उपायों से आप अजीर्ण की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
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नींबू के घरेलू नुस्खे

नींबू के 30 घरेलू नुस्खे

नींबू का रस आपको ताज़गी का एहसास तो दिलाता ही है, साथ ही कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति भी दिलाने का काम करता है।

1-शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है।

2-नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।

3-नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है।

4-नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।

5- नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।

6-नींबू के रस में नमक मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढ़ता है।

7- नौसादर को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।

8- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है।

9-बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर डालें।

10-आधा कप गाजर के रस में नींबू निचोड़कर पिएं, रक्त की कमी दूर होगी।

11- दो चम्मच बादाम के तेल में नींबू की दो बूंद मिलाएं और रूई की सहायता से दिन में कई बार घाव पर लगाएं, घाव बहुत जल्द ठीक हो जाएगा।

12- प्रतिदिन नाश्ते से पहले एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच ज़ैतून का तेल पीने से पत्थरी से छुटकारा मिलता है।

13- किसी जानवर के काटे या डसे हुए भाग पर रूई से नींबू का रस लगांए, लाभ होगा।

14- एक गिलास गर्म पानी में नींबू डाल कर पीने से पांचन क्रिया ठीक रहती है।

15- चक्तचाप, खांसी, क़ब्ज़ और पीड़ा में भी नींबू चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है।

16- विशेषज्ञों का कहना है कि नींबू का रस विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट से समृद्ध होता है।

17- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मसूढ़ों से ख़ून रिसता हो तो प्रभावित जगह पर नींबू का रस लगाने से मसूढ़े स्वस्थ हो जाते हैं।

18- नींबू का रस पानी में मिलाकर ग़रारा करने से गला खुल जाता है।

19- नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से त्वचा रोगों से भी बचाव होता है अतः त्वचा चमकती रहती है, कील मुंहासे भी इससे दूर होते हैं और झुर्रियों की भी रोकथाम करता है।

20- नींबू का रस रक्तचाप को संतुलित रखता है।

21-अगर बॉडी में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाए, तो एनिमिया, जोड़ों का दर्द, दांतों की बीमारी, पायरिया, खांसी और दमा जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। नीबू में विटामिन सी की क्वॉन्टिटी बहुत ज्यादा होती है। इसलिए इन बीमारियों से दूरी बनाने में यह आपकी मदद करता है।

22- पेट खराब, पेट फूलना, कब्ज, दस्त होने पर नीबू के रस में थोड़ी सी अजवायन, जीरा, हींग, काली मिर्च और नमक मिलाकर पीने से आपको काफी राहत मिलेगी।

23- गर्मी में बुखार होने पर अगर थकान महसूस हो रही हो या पीठ और बांहों में दर्द हो, तो भी आपके पास नींबू का उपाय है। आप एक चम्मच नींबू के रस में दस बूंद तुलसी की पत्तियों का रस, चार काली मिर्च और दो पीपली का चूर्ण मिलाकर लें। इसे दो खुराक के तौर सुबह-शाम लें।

24-चेहरे पर मुंहासे होना एक आम समस्या है। इसे दूर करने के लिए नींबू रस में चंदन घिसकर लेप लगाएं। अगर दाद हो गया है, तो इसी लेप में सुहागा घिसकर लगाएं, आपको आराम मिलेगा।

25- कई बार लंबी दूरी की यात्रा करने पर शरीर में बहुत थकान महसूस होती है। ऐसे में एक गिलास पानी में दो नींबू निचोड़कर उसमें 50 ग्राम किशमिश भिगो दें। रातभर भीगने के बाद सुबह किशमिश पानी में मथ लें। यह पानी दिनभर में चार बार पिएं। इससे एनर्जी मिलेगी और बॉडी की फिटनेस भी बनी रहेगी।

26-अधिक थकान और अशांति के कारण कई बार नींद नहीं आती। अगर आप भी इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं, तो लेमन रेमेडी अपनाएं। रात को सोने से पहले हाथ-पांव, माथे, कनपटी व कान के पीछे सरसों के तेल की मालिश करें। इसके बाद थोड़े से नीबू के रस में लौंग घिसकर चाट लें। ऐसा करने से आपको नींद बहुत जल्दी आएगी।

27-मोटापे से आजकल हर दूसरा शख्स परेशान होता है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप मूली के रस में नीबू का रस व थोड़ा नमक मिलाकर नियमित रूप से लें। मोटापा दूर होगा।

28- अगर याददाश्त कमजोर हो गई है, तो गिरी, सोंठ का चूर्ण और मिश्री को पीसकर नींबू के रस में मिलाएं। फिर इसे धीरे-धीरे उंगली से चाटें।

29-सुंदर दिखना तो सभी चाहते हैं। अगर आपकी भी यही चाहत है, तो एक चम्मच बेसन, आधा चम्मच गेहूं का आटा, आधा चम्मच गुलाब जल और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर लोशन तैयार करें। इसे धीरे-धीरे चेहरे पर मलें। कुछ ही दिनों में आपका चेहरा निखर जाएगा।

30- जहां तक हो सके, कागजी पीले रंग के नीबू का यूज करें। इसमें दो चुटकी सेंधा नमक या काला नमक मिला सकते हैं।

हाथी पाँव की समस्या

हाथी पाँव की समस्या ####


१ . नित्यानन्द रस १ गोली + श्लीपदगजकेसरी वटी १ गोली + आरोग्यवर्धिनी १ गोली ,इन तीनों गोलियों को सुबह नाश्ते के बाद तथा रात में भोजन के आधे घंटे बाद ले लें । इस दवा को लाभ हो जाने के बाद भी लगातार तीन माह पूरे हो जाने तक जारी रखियेगा ।
२ . रात को सोने से पहले मेदोहर विडंगादि लौह की दो गोलियां गुनगुने जल से लें तथा यह भी तीन माह जारी रखियेगा ।
३ . सोंठ + छोटी पीपर(लेंडी पीपर या पिप्पली) + त्रिफला चूर्ण को बराबर वजन में सरसों के तेल में मिला कर लेप बना लें और प्रभावित अंगों पर लगाएं ।
४ . वृद्धिबाधिका बटी १-१ गोली सुबह शाम खाली पेट लिया करें ।

जोड़ों में दर्द

जोड़ों में दर्द ####

१) महावातविध्वंसन रस एक गो्ली + योगराज गुग्गुल एक गोली + शुद्ध कुचला चूर्ण एक रत्ती + आमवातेश्वर रस एक गोली + विषमुष्टिका बटी एक गोली की एक खुराक बनाइये और इसे सुबह शाम नाश्ते व भोजन के बाद महारास्नादि काढ़े के दो चम्मच के साथ दीजिये ।
२) घुटनों पर मालिश के लिये तेल बना लीजिये जो कि इस विधि से तैयार करिये-
धतूरे के चार पत्ते + कुचला चूर्ण पाँच ग्राम + अश्वगंधा चूर्ण पाँच ग्राम + रास्ना चूर्ण पाँच ग्राम लेकर २०० मिली.तिल का तेल + २०० मिली.पानी मिला कर धीमी आँच पर आग पर तब तक पकाइये जब तक सारा पानी भाप बन कर उड़ न जाए और तेल में पत्ते, चूर्ण पक न जाएं।
३) विषमुष्टिकावलेह एक छोटा चम्मच रात्रि भोजन के आधे घंटे बाद गर्म मीठे दूध के साथ दीजिये । सादा दूध भी बिना शक्कर मिलाए दे सकते हैं।

माँ " के वो छोटे - छोटे नुस्खे

 ."
माँ " के वो छोटे - छोटे नुस्खे . . .
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= " तुलसी " . . अगर तुलसीपत्र ओर काली मिर्च का काढ़ा पीया जाए - तो ज्वर शीघ्र भाग जाता है . . .
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= " तुलसी " . . भोजन के बाद अगर 5 तुलसीपत्र चुसे जाये - तो मुख की दुर्गन्ध भाग जाती है = ध्यान रखिये " तुलसी " को कभी दांत से नहीं चबाना चाहिए . .
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= " तुलसी " . . अगर गुर्दे में पथरी हो गयी है - तो तुलसीदल के रस में मधु मिलाकर नियमित सेवन करे . . .
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= " तुलसी " . . अगर आपको हिचकी बहुत आती है - तो डरने की जरुरत नहीं - छोटी इलायची के दाने को तुलसी पत्र के रस में मिलाकर चाटे . . .
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= " तुलसी " . . अगर उल्टी आती है - तो तुलसीपत्र के रस में मधु मिलाकर चाटे . . .
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= " तुलसी " . . अगर चक्कर आ रहे है - तो तुलसीपत्र के रस में चीनी { शक्कर } मिलाकर चाटे . . .
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= " तुलसी " . . अगर खांसी बहुत हो गयी है - तो पांच भुनी हुई लौंग के साथ तुलसी पत्र को चुसे . . .
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= " तुलसी " . . अगर आपका वज़न बढ रहा है - तो तुलसीपत्र का नियमित सेवन आरम्भ कर दे . .
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= " तुलसी " . . दोपहर भोजन के पश्चात अगर आप तुलसीपत्र का सेवन नियमित करते है - तो आपकी पाचन शक्ति मजबूत हो जायेगी . .
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= " तुलसी " . . अगर आपको कब्ज़ रहता है - तो तुलसी के काढ़े में थोड़ा सा सेंधा नमक ओर पीसी हुई सोंठ मिलाकर सेवन करे . . .
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= " तुलसी " . . अगर आपको पेटदर्द है - तो तुलसीपत्र ओर अदरख के रस को बराबर मात्रा में थोड़ा गर्म करके सेवन करे . .
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= " तुलसी " . . अगर आपकी स्मरण शक्ति कमज़ोर हो गयी है - तो प्रतिदिन प्रातः काल तुलसी की पांच पत्तिया जल के साथ निगले . .
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= ये सब उपाय अगर आप गौर करे - तो आपके पूर्वज सदियों से घरो में उपयोग करते रहे है - लेकिन हम अंग्रेज़ी दवाओं के जाल में बुरी तरह जकड चुके है -

शरीर में हेमोग्लोबीन की कमी

शरीर में  हेमोग्लोबीन की कमी
 से रक्त की कमी हो जाती है पुरष में 13-16gm औरतों में 12-14 gm
यदि 8घंटे सोने के  बाद भी शरीर थका लगे तॊ प्राब्लम है लक्ष्ण
शरीर में कमजोरी
चेहरे की चमक ख़त्म
काम में मन ना लगना
शरीर थका थका रेहना
भूख ना लगना
पेट की सफाई ना होना
चमड़ी का  पीला पड़ना
एकागरता कि कमी
सीने में दर्द या हाँफना
तलवों हथेलियों का ठंडा पड़ना
शरीर के तापमान की कमी
आँखो के नीचे काले घेरे
स्पष्ट सोचने में परेशानी
भ्रम अनुभव करना
दिल की धड़कन का तेज होना
बाल्को का धीमा विकास
हमेशा थका मेहसूस जिससे कार्य शक्ति पर असर
लेट कर उठने पर आँखो के आगे अँधेरा छाना
रक्त की कमी से दिमाग को पूर्ति नही हो पाती जिससे सिर्फ़ में लगातार दर्द रहेगा ही  रहेगा
औरतो में मासिक समय पर ना होना
कभी कभी रुक भी जाता है
बालक कमजोर रेह जाते है जिससे शरीर का सही विकास नही होता
दिमाग इतना कमजोर रेह जाता है की यादश्त कमजोर हो जाती है

चेहरे का रंग पीला सूजन साँस लेने में मुश्किल   पैरो में सूजन
कारण
शरीर मे पोषक तत्वों की  कमी
जो vit  B 12 पचाने के काबल नही होते जोकि ज्यादा शराब पीने से होता है शराब bone marrow को जेहरीला बना कर red cells बनने में रुकावट
माहवारी के दिनो में ज्यादा रक्त बेहना
लम्बे समय की बीमारी
इन्फेक्शन होने से
किडनी रोग होने पर
दवाओं का तेज असर
थायराइड का रोग
Cancer
Tb रोग
बवासीर
पुरानी कब्ज
मलद्वार से रक्त बेहना
पानी ना पीना

    चुकदर थेरेपी
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2दिनो तक उपवास करें
इसके लिये रात का खाना ना खायें जिनको उपवास मुश्किल लगे या दलिया खायें 5 दिन
3दिन किसी भी फल के जूस पर रहे
फिर 200 ml च्कंद्र 200ml गाजर juice दे
ये मात्रा एक दिन के लिये काफी है
इक गिलास रोज़ च्क्न्द्र juice पीये
इसके साथ  ही आयुर्वेदिक दवाओं का उचित प्रयोग कर सकते है जोकि मरीज के लक्षणों पर डिपेंड करती है

आर्थराइटिस का उपचार

आर्थराइटिस का उपचार :
1. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और
Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे
जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो |
गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप
दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके,
नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक,
तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के
समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय
लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट
आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |


2. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है
मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच
की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात
भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके
पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने
से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के
समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय
लगेगा |


3. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़
जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से
तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और
ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात
भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट
भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे
रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम
आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है,
संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस
पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल
की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत
आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते
है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के
चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के
पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह
खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल
पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके
लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार
देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन
का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे
जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है |
इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये
औषधि Exclusive है और बहुत strong औषधि है
इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई
भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे
पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक
होने मे समय लगेगा |


बुखार का दर्द का उपचार :
डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार
चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे
आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन
मे ठीक हो जायेगा |


घुटने मत बदलिए :
RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है
के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार
कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते
है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace
करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे |
तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो,
Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए
यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

मुनक्का

10 मुनक्का रोज खाएंगे तो ये बीमारियां खत्म हो जाएंगी
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मुनक्का यानी बड़ी दाख को आयुर्वेद में एक औषधि माना गया है। बड़ी दाख यानी मुनक्का छोटी दाख से अधिक लाभदायक होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-

- शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।

- 250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के विकार दूर होते हैं। इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।

- मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।

- जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।

- जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं।


- सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें |

गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो

गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती

डायबिटीज

डायबिटीज ####

१. विजयसार + गुड़मार + नीम की छाल + जामुन की गुठली + गूलर(जिसे उदुम्बर या ऊमर भी कहते हैं इस फल के भीतर से छोटे-छोटे मच्छर जैसे कीड़े निकलते हैं) की छाल + सूखे हुए बेल पत्र + मेथी दाना ; इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूट लीजिये। अब इस मिश्रण के वजन से आठगुना पानी मिला कर इसे हलकी आग पर पकने के लिये रख दीजिये जब यह पानी जल कर एक चौथाई रह जाए तो इसे आग से उतार लीजिये और सारे मिश्रण को मजबूत हाथों से कसकर मसल लीजिये फिर किसी मोटे कपड़े से पानी छान लीजिए यह काफ़ी गाढ़ा सा हो जाएगा और जो चूर्ण आदि मिलाए थे उसे फेंक दीजिए आपके इस्तेमाल यह पानी आने वाला है। अब इस पानी को किसी चौड़ी थाली में रख कर धूप में सुखा लीजिये। यह काम झंझट भरा लगता है लेकिन स्वास्थ्य भी तो आपका ही है करना तो पड़ेगा और लाभ भी आप ही को होने वाला है। ये उबालना सुखाना आदि क्रिया को घनसत्व बनाना कहते हैं जो कठिन और मेहनत भरा तो है लेकिन जब इसका लाभ मिलना शुरू होता है तो सारा कष्ट भूल जाते हैं।
ऊपर बताया गया घनसत्व ७० ग्राम + शुद्ध शिलाजीत १५ ग्राम + त्रिबंग भस्म १० ग्राम + रस सिंदूर ५ ग्राम इन सब को कस कर मजबूत हाथों से खरल में घोंट लीजिये।
इस औषधि की एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार पानी से भोजन के बाद लीजिए। आप चंद ही दिनो में महसूस करेंगे कि आपकी डायबिटीज तो गायब हो ही रही है और साथ ही शरीर में नयी शक्ति का संचार हो रहा है। इसे निरंतर कुछ महीने तक लीजिये ताकि आपकी समस्या स्थायी तौर पर हल हो जाए

मोटापा घटाने के उपाय

🍃🍃🍃मोटापे के कारण 🍃🍃

👉मोटापा और शरीर का वजन बढ़ना, ऊर्जा के सेवन और ऊर्जा के उपयोग के बीच असंतुलन के कारण होता है।
👉अधिक चर्बीयुक्त आहार का सेवन करना भी मोटापे का कारण है।
👉कम व्यायाम करना और स्थिर जीवन-यापन मोटापे का प्रमुख कारण है।
👉असंतुलित व्यवहार औऱ मानसिक तनाव की वजह से लोग ज्यादा भोजन करने लगते हैं, जो मोटापे का कारण बनता है।
👉शारीरिक क्रियाओं के सही ढंग से नहीं होने पर भी शरीर में चर्बी जमा होने लगती है।
👉बाल्यावस्था और युवावस्था के समय का मोटापा व्यस्क होने पर भी रह सकता है।
🍃🍃🍃🍃🍃🍃
मोटापा घटाने के उपाय

तला खाना कम खायेंज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियाँ खायें।

रेशायुक्त खाद्य पदार्थ का सेवन अधिक से अधिक करें जैसे अनाज, चना और अंकुरित चना।
शरीर के वजन को संतुलित रखने के लिए रोजाना कसरत करें।
धीरे, परंतु लगातार वजन को कम करें।
ज्यादा उपवास से शारीरिक को नुकसान हो सकता है।
शारीरिक क्षमता को संतुलित रखने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
थोड़-थोड़े अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाना खायें।
भोजन में चीनी, चर्बीयुक्त खाद्य पदार्थ और अल्कोहल कम लें।
कम चर्बी वाले दूध का सेवन करें।
आयुर्वेदिक उपचार 🍃🍃
कुमारा आसवऔर महा मजिस्ठिदि काढा 10-10 ml भोजन के आधे घंटे के बाद

साथ मे ही आरोग्य वरदनी वटी
और मेदोहर विड्गादि लौह 2-2 वटी 3 टाइम ले

दुबलापन

दुबलापन ####

१. कासीस भस्म १ ग्राम + सुदर्शन चूर्ण १६ ग्राम , इस अनुपात में मिश्रण बना लीजिये तथा दो ग्राम मात्रा को प्रातः-सायं जल से सेवन करें फिर भोजन के बादसितोपलादि चूर्ण दो-दो ग्राम की तीन मात्राएं दस-दस मिनट के अंतर पर फांकिए लेकिन कम से कम इसके बाद आधा से पौना घंटा पानी न पिएं।
आप विश्वास करें कि इस उपचार व्यवस्था से सूखी लकड़ी की तरह दिखने वाले लोग भी हरे-भरे दिखाई देने लगे हैं

स्टोन (पथरी)

किडनी स्टोन  (पथरी)

१ . हजरुल यहूद भस्म एक रत्ती + कलमी शोरा एक रत्ती + जवाखार एक रत्ती + मूत्र कृच्छान्तक रस एक गोली + गोक्षुरादि गुग्गुल एक गोली + श्वेत पर्पटी एक रत्ती इन दवाओं की एक मात्रा बना लें और सुबह शाम ठंडे पानी से सेवन करें।
पथ्य पूर्वक रहें तो पथरी दोबारा बनेगी ही नहीं अन्यथा दोबारा बन जाती है। घिया लौकी, तोरई, टिण्डा, कद्दू, मूली, मूंग की दाल, अरहर तथा कुल्थी की दाल, दूध, संतरा, पपीता, अनार, तरबूज का अधिक सेवन दवा लेने के समय हितकर रहता है।

प्रदर

श्वेत प्रदर ---

१ शकरकन्द और जिमीकन्द समान भाग मे लेके इसको छाया मे सुखा लें फिर इसका बारीक चूर्ण बना लें । ताजे पानी, बकरी के दूध, या फिर अशोक की छाल के क्वाथ मे शहद मिला कर ५ ग्राम रोज लीजिये ये योग सभी प्रकार के प्रदर मे लाभकारी है।
२दारूहल्दी, बबूल क गोंद,शुध्द रसांजन १०-१० ग्राम पीस ले। पीपल की लाख ,नागरमोथा ,सोनागेरू ५-५ ग्राम और २० ग्राम मिश्री सभी को अच्छी तरह कूट लें अब सुबह शाम २से३ ग्राम ताजे पानी से लें यह सभी तरह के प्रदर रोग दूर करता है।
३ चौलाई की जड ५ग्राम चावल के धोवन के साथ शहद मिला कर लें
४;मोचरस, अनार की कली डाक का गोंद १०-१० ग्राम पठानी लोध समुद्र शोथ ४०-४० ग्राम मिश्री ५० ग्राम सभी को अच्छी तरह से कूट लें और कपडे से छान लें फिर मीठे दूध से १० ग्राम रोज लें।
५वासा स्वरस शहद में मिलाकर लें।
६ गिलोय स्वरस श्हद मे मिलाकर लें।
७;कुशा की जड को चावल के धोवन के साथ पीस कर पियें इससे सभी प्रकार के प्रदर रोग दूर होते हैं ।
८;त्रिफला ,मुलहठी, नागरमोथा लोध काचूर्ण शहद मे मिलाकर लें ये हर प्रकार के प्रदर रोग मे फायदा करता है।
९;बेर का चूर्ण गुड मे मिलाकर रक्त प्रदर मे देने से बहुत फायदा होता है।
१० लाख का चूर्ण गाय के घी मे मिलाकर लेने से रक्त प्रदर मे बहुत फायदा होता है।
११;गूलर का पका हुआ फल ताजे पानी से खायें तो श्वेत प्रदर दूर होता है।
१२ मुल्तानी मिट्टी ३ ग्राम मिश्री ३ ग्राम ताजे पानी के साथ शहद के साथ लें यह श्वेत प्रदर मे बहुत फायदा करता है।
१२;मोचरस का चूर्ण बकरी के दूध के साथ लें ये बहुत से प्रदर रोगों मे फायदा करता है।
१3;कपास की जड का चूर्ण चावल के धोवन मे पीस ले और उसका सेवन करें यह श्वेत प्रदर मे लाभकारी है

थाइरॉइड

थाइरॉइड, एक बहुत बड़ी समस्या
1) इससे बचने के लिए पिएं धनिए का पानी, साथ में और भी आसान घरेलू नुस्खे....
थाइरॉइड को साइलेंट किलर माना जाता है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण बहुत धीरे-धीरे पता चलते हैं !
दरअसल - थाइरॉइड हमारी बॉडी में पाई जाने वाली एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है !
गले में मौजूद तितली जैसे आकार वाली यह ग्लैंड थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाती है जो हमारी बॉडी की ऊर्जा खर्च करने की क्षमता और कई फंक्शन्स पर असर डालता है !
थाइरोइड के घरेलू उपाय ~ जरूर आजमायें !!!
1) उपाय नम्बर 1
काली मिर्च से वजन और हाइपो-थायरॉयड दोनो को ही कन्ट्रोल करता है।
क्यों और कैसे.?
पिपेराईन, एक खास रसायन है जो काली मिर्च में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
ये कमाल का फ़ैट बर्नर है ~ वसा के विघटन के लिए खासम-खास..!
अक्सर महिलाओं में थायरॉक्सिन लेवल कम होने से तेजी से वजन बढ़ता है..
पेपेराईन इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है..!
● जिन्हें हाईपोथायरॉइड की समस्या है, उन्हें सिर्फ 7 काली मिर्च कुचलकर 15 दिनों तक रोज सुबह एक ही बार में एक साथ खा लें-
सकारात्मक परिणाम आना तय और निश्चित है..!
2) उपाय नम्बर 02
25 ग्राम शुद्ध दालचीनी लें यह जितनी तीखी हो उतना ही अच्छा रहेगा..!
इसे पीस कर चूर्ण बना लें और एक चुटकी चूर्ण प्याज रस में मिलाकर सेवन करें.!
यह प्रयोग बासी मुंह सिर्फ 21 दिन करें..!
21 दिन सेवन से थाइरोइड सामान्य हो जाएगा और फिर कभी नहीं बढ़ेगा..!
3 महीने बाद इस प्रयोग को दोहराइए, अचूक लाभ होगा.!
जिसने लग्न व विश्वास के साथ कर लिया, समझो वो व्यक्ति जिन्दगी भर दवा खाने से बच गया..!
फिर क्या, शुरू हो जाओ और स्वस्थ जीवन जियो।

गठिया रोग

गठिया  रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-  गठिया रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले शरीर में जमा यूरिक एसिड को घुलाकर शरीर से बाहर निकालने वाले पदार्थ जैसे- पोटाशियम प्रधान खाद्य पदार्थ लौकी, तरबूज, ककड़ी, खीरा, पत्तागोभी, पालक, सफेद पेठा आदि के रस को प्रतिदिन पीना चाहिए और फिर उपवास रखना चाहिए। नींबू, अनन्नास, आंवला तथा संतरे का रस पीकर उपवास रखने से भी गठिया रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

अनिद्रा

अनिद्रा

अनिद्रा एक सामान्य रोग है| यह चिंता, शोक, विषाद, निराशा आदि के कारण उत्पन्न होता है | यदि नकारात्मक भावनाओं से स्वयं को दूर रखा जाए तो इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है |

कारण

नींद न आने के बहुत से कारण होते हैं| उनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं - नींद आते समय काम करते रहना, शरीर में वायु और पित्त का रोग, जुकाम, खांसी, श्वास की बीमारी, बार-बार दस्त आना, पेट या शरीर के किसी अन्य अंग में दर्द, हिचकी, डकार, प्यास अधिक लगना आदि| इसके अलावा शारीरिक श्रम न करना
, कोई दुःखद घटना होना, अत्यधिक शोर, अधिक चाय, कॉफी, तम्बाकू आदि का सेवन माथे में रक्त की अधिकता आदि कारणों से नींद नहीं आती है|

पहचान

सारी रात जागते हुए बीत जाती है| बेचैनी, करवटें बदलना, बार-बार नींद खुल जाना, आधी रात को नींद खुल जाने के बाद दोबारा नींद न आना लक्षण अनिद्रा के ही माने जाते हैं|

नुस्खे
जायफल को घिसकर घी में मिलाकर आंखों की पलकों पर लगाएं तथा तीन रत्ती चूर्ण शहद के साथ सेवन करें|
सोने से पूर्व दो चम्मच शहद पानी में घोलकर पी जाएं|
बकरी का दूध पैरों पर मलें|
हाथ-पैरों में तिली के तेल की मालिश करके ही सोने की तैयारी करें|
कनपटी, माथे तथा गले में सरसों के तेल की गहरी मालिश करने के बाद पलंग पर लेटें|
रात को सोने से पहले दो चम्मच शहद तथा एक चम्मच नीबू का रस पानी में मिलाकर सेवन करें| बाजरे की रोटी गुड़ के साथ रात में खाने से अच्छी नींद आती है|
हरे धनिए में चीनी का मीठा पानी मिलाकर पीने से रात में अनिद्रा की शिकायत दूर हो जाती है|
प्याज को आग में भूनकर उसका रस पीने से नींद अच्छी आती है|
पपीते का रस पीने से अनिद्रा की व्याधि दूर हो जाती है|
5 ग्राम पीपरामूल का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करें|
तरबूज के बीजों की गिरी घी में भूनकर सेवन करें|
सोने से पहले सेब का मुरब्बा खाएं|
एक कप दूध में एक चम्मच तुलसी का रस डालकर पीने से अच्छी नींद आती ह

स्वप्नदोष या वीर्यपात

स्वप्नदोष या वीर्यपात

परिचय :-

इच्छा न होने पर भी वीर्यपात हो जाना या रात को नींद में कामोत्तेजक सपने आने पर वीर्य का अपने आप निकल जाना ही वीर्यपात या स्वप्नदोष कहलाता है।

कारण :-

यह रोग अधिक संभोग करने, हस्तमैथुन करने, सुजाक रोग होने एवं उत्तेजक फिल्मे देखने आदि के कारण होता है। बवासीर में कीड़े होने एवं बराबर घुड़सवारी करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

लक्षण :-

स्पप्नदोष या धातुदोष के कारण स्मरण शक्ति का कमजोर होना, शरीर में थकावट व सुस्ती आना, मन उदास रहना, चेहरे पर चमक व हंसी की कमी, लज्जाहीन होना, धड़कन का बढ़ जाना, सिरदर्द होना, चक्कर आना, शरीर में खून की कमी होना आदि इस रोग के लक्षण हैं।

स्वप्नदोष व धातुदोष को दूर करने के लिए औषधियों से उपचार :-

1. एग्नस-कैक्टस :- शरीर और मन की सुस्ती, भारी आवाज, शरीर कमजोर होना, जननेन्द्रिय की कमजोरी एवं काम शक्ति का कम होना आदि लक्षण स्वप्नदोष से पीड़ित रोगी में हों तो उसके रोग को ठीक करने के लिए एग्नस-कैक्टस औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।

2. ओरिगैनम :- कामवासना की ऐसी तीब्र इच्छा की रोगी हस्तमैथुन करने पर मजबूर हो जाएं। रोगी अपने कामवासना पर नियन्त्रण न रख पाता हो, हमेशा अश्लील बाते सोचता रहता हो, उसे जननेन्द्रिय में ऐसा महसूस होता है जैसे कुछ चल रहा है। ऐसे कामुक लक्षणों से पीड़ित रोगी को ओरिगैनम औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना चाहिए। इस औषधि का स्नायु संस्थान पर प्रभाव पड़ता है जिससे हस्तमैथुन की इच्छा शान्ति होती है। इस औषधि के सेवन से स्त्री की कामुक इच्छा भी शांत होती है।

3. ग्रैटिओला :- यह औषधि स्त्रियों में हस्तमैथुन की तीव्र इच्छा को शांत करती है। यदि किसी स्त्री में कामवासना की तीव्र इच्छा हो तो उसे ग्रैटिओला औषधि की 2 से 3 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
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शीघ्र गिर जाने को शीघ्रपतन कहते हैं। सेक्स के मामले में यह शब्द वीर्य के स्खलन के लिए, प्रयोग किया जाता है। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता, पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है।

शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है।

वीर्यपात की अवधि स्तम्भनशक्ति पर निर्भर होती है और स्तम्भन शक्ति वीर्य के गाढ़ेपन और यौनांग की शक्ति पर निर्भर होती है। स्तम्भन शक्ति का अभाव होना शीघ्रपतन है, शीघ्रपतन होने का मुख्य कारण होता है हस्तमैथुन करना।

बार-बार कामाग्नि की आंच (उष्णता) के प्रभाव से वीर्य पतला पड़ जाता है सो जल्दी निकल पड़ता है। ऐसी स्थिति में कामोत्तेजना का दबाव यौनांग सहन नहीं कर पाता और उत्तेजित होते ही वीर्यपात कर देता है। यह तो हुआ शारीरिक कारण, अब दूसरा कारण मानसिक होता है जो हस्तमैथुन करने से निर्मित होता है।

हस्तमैथुन करने वाला जल्दी से जल्दी वीर्यपात करके कामोत्तेजना को शान्त कर हलका होना चाहता है और यह शान्ति पा कर ही वह हलकेपन तथा क्षणिक आनन्द का अनुभव करता है। इसके अलावा अनियमित सम्भोग, अप्राकृतिक तरीके से वीर्यनाश व अनियमित खान-पान आदि। शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह बीमारी पुरुषों की मानसिक हालत पर भी निर्भर रहती है।

कई युवकों और पुरुषों को मूत्र के पहले या बाद में तथा शौच के लिए जोर लगाने पर धातु स्राव होता है या चिकने पानी जैसा पदार्थ किलता है, जिसमें चाशनी के तार की तरह लंबे तार बनते हैं। यह मूत्र प्रसेक पाश्वकीय ग्रंथि से निकलने वाला लसीला द्रव होता है, जो कामुक चिंतन करने पर बूंद-बूंद करके मूत्र मार्ग और स्त्री के योनि मार्ग से निकलता है, ताकि इन अंगों को चिकना कर सके। इसका एक ही इलाज है कि कामुकता और कामुक चिंतन कतई न करें।

एक बात और पेशाब करते समय, पेशाब के साथ, पहले या बीच में चूने जैसा सफेद पदार्थ निकलता दिखाई देता है, वह वीर्य नहीं होता, बल्कि फास्फेट नामक एक तत्व होता है, जो अपच के कारण मूत्र मार्ग से निकलता है, पाचन क्रिया ठीक हो जाने व कब्ज खत्म हो जाने पर यह दिखाई नहीं देता है।

धातु क्षीणता आज के अधिकांश युवकों की ज्वलंत समस्या है। कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।
आज का तड़क-भड़क वाला फैशनेबल वातावरण, अधनंगे अश्लील दृश्य और कामुक भाव से भरे टीवी सीरियल आदि इस समस्या में घी डालने का काम कर रहे हैं। आज वह युवक भाग्यवान है और काबिले तारीफ है, जो धातु क्षीणता का रोगी नहीं है। ऐसा युवक वही हो सकता है जो वातावरण से प्रभावित न होकर शुद्ध और हितकारी आचार-विचार का पालन करता हो।

शुक्र धातु का आचार-विचार से सीधा संबंध रहता है, इसलिए आचार-विचार शुद्ध नहीं होगा तो धातु क्षीण होगी ही। धातु क्षीणता से स्मरण शक्ति में कमी होती है, नपुंसकता आती है, आत्मविश्वास में कमी होती है, बुद्धि मंद और शरीर में निर्बलता आती है। विवाहित पुरुष, पत्नी सहवास में असफल रहता है। कामुक आचार-विचार का सर्वथा त्यागकर निम्नलिखित चिकित्सा करने पर दो-तीन माह में धातु क्षीणता दूर हो सकती है। धातु को पुष्ट और बलवान बनाने वाले उत्तम आयुर्वेदिक योगों का परिचय यहां प्रस्तुत है।

TREATMENT :
(1) आंवला, गिलोय सत्व, असली बंसलोचन, गोखरू, छोटी इलायची सब 20-20 ग्राम लेकर बारीक पीसकर चूर्ण कर लें। यह चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लें।

(2) सकाकुल मिश्री 80 ग्राम, बहमन (सफेद), बहमन लाल, सालम पंजा, सफेद मुसली, काली मुसली और गोखरू सब 40-40 ग्राम। छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजुवां के फूल सब 20-20 ग्राम, इन सबको कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके तीन बार छान लें, ताकि सभी एक जान हो जाएं फिर शीशी में भर लें। यह चूर्ण आधा-आधा चम्मच कुनकुने मीठे दूध के साथ सुबह व रात को सोते समय लें।

आयुर्वेदिक उपाय

सफेद बाल तेजी से आ रहे हो

उम्र कम हो फिर भी बाल सफेद आ रहे हो

 आयुर्वेदिक उपाय

अम्ल्तास गुद्दा   15  gm   2 कप पानी में उबालें

उसको सुबह सुबह latrine के बाद पी लै

 आरोग्य वर्धानी 1

केश कूलन्तक बटी 1  

गीलोय सत्व 125 mg

नीम पत्तों का चूर्ण 250 mg

येह एक मात्रा है

 तीनो समय भोजन के आधा घंटा बाद   कोसे  दूध से

सुबह शाम नाक में  भृंगराज़ और षडबिंदु तैल मिक्स कर 4-4  बूँदें डालें

ये उनके लिये जिनको साथ में और कोई प्रोब्लम नही

अगर है तो उसका भी साथ में ईलाज करें

या फिर use करने से पेहले सम्पर्क करें 

ताकत बढ़ाएं .शरीर का कायाकल्प

नामर्दी_का_घरेलु_टोटका

6-7 ग्राम लहसुन घी में भूनकर रोंज खाने से लिंग में तेजी आती है |
२ किलो लहसुन को ६ किलो शहद में डालकर मिट्टी के बर्तन में भर लो | आ | इसके बाद इसको गेंहू के ढेर या गेंहू की बोरी या गोबर के ढेर में दबा दें | एक महीने बाद निकाल कर सुबह शाम खाकर ऊपर से दूध पी लें |
यह प्रयोग पूरा १-३ महीने तक करें | लाभ होगा |
एक बात बोल दूँ कि यह वात रोगियों ओर कफ प्रकृति लोगों पर ही पूरा असर दिखा पाता है | पित्त प्रकृति लोंगों को नुकसान भी कर सकता है | अम्लपित्त के रोगी न लें |
ठंडे मुल्क के रहने वाले लोगों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है |
गर्मी में इसका प्रयोग कोई भी न करें |
सिर्फ सर्दी में प्रयोग करें |
‪#‎जोडो़‬ के दर्द में तो यह बहुत ही लाभकारी है
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शरीर का कायाकल्प। रोगी को निरोग, बूढ़े को जवान और नामर्द को मर्द बना दे त्रिफला अवलेह का नियमित सेवन।

त्रिफला अवलेह।
3 ग्राम त्रिफला चूर्ण (आंवला, हरड़, बहेड़ा तीनो 1:2:3 के अनुपात से अर्थात एक भाग आंवला, दो भाग बहेड़ा, तीन भाग हरड़ के चूर्ण को मिला कर बनाया हुआ चूर्ण) में 1 ग्राम तिल का तेल और 6 ग्राम शहद मिलाकर रोज़ाना खाली पेट गुनगुने पाने के साथ और रात को सोते समय गर्म दूध के साथ ले, इस से पेट और धातु सम्बंधित सब रोग दूर हो कर काय पलट जाती हैं। ऋषियों ने यहाँ तक कहा हैं के एक मास निरंतर प्रयोग करने से रोगी को निरोग, बूढ़े को जवान और नामर्द को मर्द बना देता हैं। इसके सेवन करने से शरीर की चमक बढ़ती हैं, बवासीर, गर्मी, सुजाक, दाद, खांसी, दमा, बुखार, मर्दाना कमज़ोरी, आदि कई बिमारिया जड़ से खत्म हो जाती

यह पोस्ट सिर्फ मर्दों के लिए है । कृप्या माताएं बहनें इससे दूर ही रहें । जिंदगी का लुतफ उठाने वाले हर मर्द के लिए लाभकारी पोस्ट
जीवन_जोश_कोर्स
#ताकत_बढ़ाएं_जोश_जवानी_वापिस_पाएं
शरीरिक और मानसिक नामर्दी के शिकार पुरषों को मेरा नायाब तोहफा ।
आज ही मंगवाएं । जिसमें है नीचे लिखा हुआ मिश्रण नुस्खा -
तालमखाना,लाजवंती,तुलसी,मूसली सफेद,
मूसली काली,मूसली सकाकुल ,सेमल मूसली,
रूमी मस्तगी,रस सिंदूर,सालम पंजा,सतावर,
बहमन सुर्ख,बहमन सफेद,दालचीनी,लौंग,जायफल,
ब्राह्मी,मालकंगनी,जावित्री,आँवला,हरड़,बहेड़ा,सौंठ,मिर्च,पीपल,काले कोंच की गिरी,तुलसी बीज,
अशवगंधा ,गूलर फल ,विधारी कंद ,त्रिबंग भस्म ,
मकरध्वज ,रजत भस्म,मुक्ता भस्म ,स्वर्ण भस्म,वज्र भस्म ,बंग भस्म ,प्रवाल पिष्टी चंद्रपुट्टी,असली शुद्ध शिलाजीत ,असली केशर ।
सबको मिलाकर अशवगंधा की जड़ के ताजा रस में  घोटकर सुखा लें । मांलकंगनी में घोटकर सुखाएं ।
फिर जटामांसी के काढ़े में  घोटकर सुखा लें।विदारी कंद के रस में घोटकर सुखा लें । फिर सतावर के रस में घोटकर चने_समान गोली बना लें ।
इसकी कीमत का अंदाजा पाठक खुद इसमें पढ़ने वाली दवाएं देखकर लगा सकते है ।
नोट:-
 सबसे पहले न घिसने वाले खरल में रूमी मस्तगगी घोटकर अलग निकाल कर रख लें ।
फिर मकरध्वज लेकर उसकी अच्छे से रगड़कर रख लें ।फिर बाकी भस्में मिलाकर 3 दिन अच्छी तरह घुटाई करें । फिर जो काले कोच के बीज है उन्हे रात को दूध में भिगोकर सुबह छिलका उतारकर धूप में सुखा दें । कूट छानकर कपड़छान कर लें ।सभी जड़ी बूटी ताजी ही लें । दूषित जड़ी - बूटी बेकार है । कोई फायदा नही करती । बस ताजी ही डालें ।
जितनी भी जड़ी - बूटी है सब कपड़छान होनी चाहिए ।
लेने_की_विधि-
सुबह -शाम एक-एक गोली गर्म दूध से लें ।कैपशूल उपलब्ध  है ।
लाभ - इस दवा के बारे में तो बस इतना कहना चाहूंगा कि यह नामर्द को मर्द बनाने वाली सबसे बढ़िया दवा है । हिजड़े_को_मर्द_बना देती है ।
इसका सेवन कर्ता बार- बार संभोग करने पर भी थकता नही है ।इसका लगातार सेवन करने वाला पूरी रात संभोगरत सकता है । हर संभोग में आनंद प्राप्त करता है । हर एक छोह अनंदित करने वाली होती है । इस दवा का सेवनकर्ता जिस स्त्री से संभोग कर लेता है वो सारी उम्र उसकी दासी बन कर रह जाती है मैं_कई_सालों_से_इस_योग_का_सेवन_करवाकर_कई_लोगों_के_घर_टूटने_से_बचा_चुका_हुँ ।
यह दवा संभोग शक्ति ताकत जोश जवानी दोबारा लोटा देती  है । इसमें पढ़ने वाली हर चीज गुणकारी है । अत: कहना चाहुंगा कि संभोग के शोकीन लोगों को इसका सेवन जरूर करना चाहिए ।
इसका असर देख लगाए पैसे भूल जाते है ।
यह_मैंने_अपना_गुप्त_योग_आपसे_शेयर_किया_है । इसकी बनाने की मात्रा पूछने का कष्ट न करें ।यह मेरा निजी योग है । केवल जरूरतमंद ही संपर्क करें । यह दवा 25 साल से लेकर हर उम्र का व्यक्ति सेवन कर सकता है ।
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परिचय :
           संभोग करने के लिए लिंग का छोटा या बड़ा होना ज्यादा मायने नहीं रखता है। कुछ लोग अपने लिंग को छोटा होने पर अपने दिमाग में कुछ हीन भावना बना लेते हैं। इससे वह मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते है। ऐसी स्थिति में लिंग बढ़ाना आवश्यक हो जाता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. कपूर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कपूर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से लिंग की उत्तेजना कम हो जाती है।

2. बर्फ- अगर किसी का लिंग उत्तेजना से भर रहा हो तो वह लिंग को बर्फ के टुकड़ो से ढक दें। बहुत जल्द ही लिंग उत्तेजना दूर हो जायेगी।

3. जटामांसी- 40 ग्राम जटामांसी, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम शीतल चीनी, 10 ग्राम सौंफ और 80 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीस लें। रोजाना यह मिश्रण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लिंग की उत्तेजना दूर हो जायेगी।

4. सुहागा- लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए आधे से एक ग्राम की मात्रा में सुहागे की खील को रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से लिंगोद्रेक दूर होता है।

5. यवक्षार- लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग एक ग्राम का चौथा भाग यवक्षार पानी में घोलकर सुबह-शाम रोगी को देने से रोग में लाभ मिलता है।

6. चंदन- 3 से 4 बूंद चंदन का तेल बताशें में डालकर पानी के साथ प्रतिदिन 2 बार खाने से लिंग की उत्तेजना खत्म हो जाती है।

7. जल जमनी- लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए 20 ग्राम जल जमनी को पानी के साथ पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।

8. राई- 20 ग्राम राई को 200 मिलीलीटर पानी में 2 से 3 घंटे तक डालें। इस पानी से लिंग को धोये इससे लिंग की उत्तेजना बढ़ेगी। लेकिन पानी से लिंग के आगे के भाग को न धोये।

9. कीकर- 3 ग्राम कीकर (बबूल) की गोंद को मिश्री के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से 3 दिनों में ही रोग दूर हो जाता है।
10. दशमूला- 10 से 100 मिलीलीटर दशमूला का रस दिन में 4 बार 6-6 घंटों पर सेवन करने से लिंग उत्तेजि
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परिचय :
        शारीरिक और मानसिक असंतुलित की स्थिति में शरीर के अन्दर वीर्य नहीं बन पाता या ठहर नहीं पाता और इस कारण शरीर तेजहीन, उदास और निष्काम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वीर्य बन भी जाता है तो पतला या बिना शुक्र के ही बन पाता है जिसे हम वीर्य की कमी कहते हैं।

कारण :
        वीर्य की कमी के कई कारण होते है। जैसे हस्तमैथुन, अधिक सहवास, खान-पान में सही देखभाल न करना, स्वप्नदोष, कमजोरी, मानसिक कमजोरी, चिन्ता करना आदि।

लक्षण :

        हमेशा उदास सा रहना, किसी काम में मन का न लगना, सुस्ती, कमजोरी, अपंगता और मानसिक कमजोरी आदि के लक्षण वीर्य की कमी में देखे गये हैं।

परहेज :

        गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ और मांस, अण्डे आदि, हस्तमैथुन करना, अश्लील पुस्तकों और चलचित्रों को देखना, बीड़ी-सिगरेट, चरस, अफीम, चाय, शराब, ज्यादा सोना आदि बन्द करें।

चिकित्सा :

1. चोब चीनी : चोब चीनी को दूध में उबालकर 3 से 6 ग्राम को मस्तगी, इलायची और दालचीनी के साथ सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।

2. छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी व कमजोरी दूर होती है।

3. गुरुच : गुरुच का चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से लाभ होता है।

4. बेल : बेल की जड़ की छाल को जीरे के साथ पीसकर घी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।

4. गुंजा : गुंजा की जड़ 2 ग्राम को दूध में पकाकर रोज रात को खाना खाने से पहले खाने से वीर्य के सभी रोग खत्म हो जाते हैं।

5. गुलशकरी : गुलशकरी की जड़ 6 ग्राम से 10 ग्राम को मिश्री मिले दूध के साथ दिन में सुबह और शाम खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।

6. शतावरी : शतावरी का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम चीनी और दूध के साथ पेय बना कर सुबह-शाम सेवन करने से धातु (वीर्य) का पतलापन मिट जाता है।

7. सिरस :

सिरस के बीजों का चूर्ण 1 से 2 ग्राम मिश्री मिले गाय के दूध के साथ सुबह-शाम खान

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लिगं वरधक #####

रस सिन्दूर २५ मिग्रा.+ मुक्ताशुक्ति भस्म २५ मिग्रा. + जावित्री १० मिग्रा. + स्वर्ण बंग २५ मिग्रा. + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म २५ मिग्रा. + अश्वगंधा ५० मिग्रा. + शिलाजीत २५ मिग्रा. + शुद्ध विजया २५ मिग्रा. + गोखरू ५० मिग्रा. + शुद्ध हिंगुल २५ मिग्रा. + बबूल गोंद २५ मिग्रा. + विधारा ५० मिग्रा. + दालचीनी २५ मिग्रा. + कौंच बीज २५ मिग्रा. + तालमखाना २५ मिग्रा. + सफ़ेद मूसली २५ मिग्रा. + जायफल १० मिग्रा. + शतावर ५० मिग्रा. + लौंग १० मिग्रा. + बीजबन्द ५० मिग्रा. + सालम मिश्री ५० मिग्रा.

इन सभी की एक खुराक बनेगी आप इसी अनुपात में औषधियाँ मिला कर अपनी जरूरत के अनुसार दवा बना लें व सुबह नाश्ते तथा रात्रि भोजन के बाद एक एक खुराक मीठे दूध से लीजिये। 

दूसरी दवा लिंग पर लगाने के लिये है इससे आपको कोई नुक्सान नहीं होगा इसलिए परेशान न हों। 

अश्वगंधा तेल १० ग्राम + मालकांगनी तेल १० ग्राम + श्रीगोपाल तेल १० ग्राम + लौंग का तेल २ ग्राम + निर्गुण्डी का तेल १० ग्राम इन सब को मिला कर इसमें केशर १ ग्राम + जायफल २ ग्राम + दालचीनी २ ग्राम । इन सबको कस कर घुटाई कर लें तो क्रीम की तरह बन जाएगा। इसे किसी मजबूत ढक्कन की काँच या प्लास्टिक की चौड़े मुँह की शीशी में रख लीजिये। इसे नहाने के बाद अंग सुखा कर भली प्रकार हल्के हाथ से मालिश करते हुए अंग में जाने दें। लगभग दस मिनट में यह क्रीम लिंग में अवशोषित हो जाएगी। इस प्रकार यदि दिन में समय मिले तो दो बार क्रीम लगाएं।

ध्यान दीजिये कि औषधि प्रयोग काल में सम्भोग या हस्तमैथुन न करें। 

यदि आप लगभग तीन माह तक इस प्रयोग को करें तो स्थायी लाभ होगा।
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शक्ति बढ़ाने के घरेलू उपाय ###


• 1. आंवलाः- 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी।
• 2. पीपलः- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है।
• 3. प्याजः- आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है।
• 4. चोबचीनीः- 100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।
• 5. कौंच का बीजः- 100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है।
• 6. इमलीः- आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है।
• 7. बरगदः- सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी।
• 8. सोंठः- 4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है।
• 9. अश्वगंधाः- अश्वगंधा का चूर्ण, असगंध तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
• 10. त्रिफलाः- एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है।
11. छुहारेः- चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है।
• 12. उंटगन के बीजः- 6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है।
• 13. तुलसीः- आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
• 14. गोखरूः- सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व- इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में अत्यंत शक्ति आती है।
• 15. सफेद मूसलीः- सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है।
• 16. हल्दीः- वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।
• 17. उड़द की दालः- आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है।
• 18. जायफलः- जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है।
• 19. शंखपुष्पीः- शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है।
• 20. गाजरः- 1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4 चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्यूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है।

21. ढाकः- ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है।
• 22. जायफलः- 15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है।
• 23. इलायचीः- इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है।
• 24. सेबः- एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

• 25. अजवायनः- 100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।
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पुरुषों की हर तरह कमजोरी को जड़ से मिटाने के कुछ अचूक देसी तरीके –अगर बचपन में की हुयी गलतियों से या अत्यधिक मैथुन से आपका शरीर बहुत कमज़ोर हो गया हैं और आपका वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा हैं तो कुछ दिन ये घरेलु नुस्खे ज़रूर अपनाये और फर्क देखे। इनसे आपका दुबला पतला शरीर भी शक्तिशाली बनेगा। और नासिर्फ आपका शरीर सुदृढ़  बनेगा अपितु आपकी वीर्य सम्बंधित सभी समस्याए भी हल होंगी।उड़द-अगर आपकी पाचन क्रिया अच्छी हैं तो उड़द आपके लिए रामबाण हैं। उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है।तालमखाना-तालमखाना ज्यादातर धान के खेतों में पाया जाता है इसे लेटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया कहते हैं। वीर्य के पतले होने पर, शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है। इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।गोखरू-गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम मेंयह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों केचूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुतही लाभ होता है।मूसली-मूसली पूरे भारत में पाई जाती है। यह सफेद और काली दो प्रकार की होती है। काली मूसली से ज्यादा गुणकारी सफेद मूसली होती है। यह वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है।मूसली के चूर्ण को लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें।रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है।वीर्य में शुक्राणुओं की कमी ::बच्चा पैदा करने के लिए सिर्फ एक बलशाली शुक्राणु की जरूरत होती है, जो स्त्री के अंडाणु से संयोग कर गर्भ में परिवर्तित होता है। वीर्य में शुक्राणुओं की कमीहोने या शुक्राणु कमजोर होने पर बच्चे पैदा करने में परेशानी होती है।शुक्राणुओं को बढ़ाने व उन्हें बलशाली बनाने के लिए इस प्रकार का प्रयोग करें-इसके लिए शतावरी, गोखरू, बड़ा बीजबंद, बंशलोचन, कबाब चीनी, कौंच के छिलकारहित बीज,सेमल की छाल, सफेद मुसली, काली मुसली, सालम मिश्री, कमलगट्टा, विदारीकंद, असगन्ध सब 50-50 ग्राम और शक्कर 300 ग्राम, सभी द्रव्यों को अलग-अलग कूट-पीसकर कपड़छान कर लें।शक्कर को भी पीसकर महीन कर लें और सभी को मिला लें व तीन बार छान लें, ताकि एक जान हो जाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ 60 दिन तक सेवन करेंऔर इसके बाद वीर्य की जाँच करवाकर देख लें कि शुक्राणुओं में क्या वृद्धि हुई है।पर्याप्त परिणाम न मिलने तक प्रयोग जारी रखें।यह नुस्खा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, नपुंसकता आदि बीमारियों में भी लाभ करता है।
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कमज़ोरी दूर कर शारीर हृष्ट पुष्ट बनाने के 5 घरेलु नुस्खे।Home remedy for strong healthy body.जहाँ मोटापा एक बीमारी है वहीँ पर कमज़ोरी भी लोगों के उपहास का कारण बनता है। एकआकर्षक व्यक्तित्व की चाह रखने वाले नौजवानों के लिए शरीर का पुष्ट होना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में कुछ घरेलु उपाय ज़रूर आज़माएं जो आपकी कमज़ोरी दूर कर शरीर को हृष्ट पुष्ट कर देंगे।पहला प्रयोग।1 से 2 ग्राम सौंठ एवं उतनी ही शिलाजीत खाने से अथवा २ से ५ ग्राम शहद के साथ उतनी ही अदरक लेने से शरीर पुष्ट होता है।दूसरा प्रयोग।3 से 5 अंजीर को दूध में उबालकर या अंजीर खाकर ऊपर से दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।तीसरा प्रयोग।1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को आंवले के 10 से 10 मि. ली. रस के साथ 15 दिन लेने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है।चौथा प्रयोग।एक गिलास पानी में एक निम्बू का रस निचोड़कर उसमे दो किशमिश डालकर रात को भिगोकर रख दीजिये। सुबह छानकर पी जाएँ एवं किशमिश चबा कर खा जाएँ। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।पाँचवाँ प्रयोग।शाम को गर्म पानी में दो चुटकी हल्दी पीने से शरीर सदा निरोगी और बलवान रहता है।अगर आप बहुत खाते हैं और मोठे नहीं हो रहे तो ये आर्टिकल नीचे दिए गए लिंक से जाकर ज़रूर पढ़ें, आपको बहुत फायदा होगा।

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‎प्रयोग‬ _ 1
अशवगंधा 100 ग्राम
तुलसी बीज 50 ग्राम
खसखस बीज 100 ग्राम
मूसली सफेद 50 ग्राम
विधि :- पीसकर चूरन बना कर रख लें अगर चाहे तो मिश्री मिला कर रख सकते है । समभाग मिलाकर रखनी है ।
मात्रा :- सुबह- शाम दूध के साथ 4-5 ग्राम ।
अगर मिश्री मिलाई हो तो 8-10 ग्राम मिला लें ।
लाभ :- बचपन में की गलतियों के कारण आई सैकस कमजोरी ,वीर्य का पतलापन दूर करके मर्दमी ताकत पैदा करता है । यह बहुत ही सस्ता वीर्यवर्धक बलवर्धक चूरण है । प्रयोग कर लाभ उठाएं ।

प्रयोग नं:२
गोखरू 10 ग्राम
काले तिल 5 ग्राम
½ किलो दूध में उबाल कर रात को पीकर सो जाएं । 60 दिन में वीर्य का पतलापन दूर करके शरीर में ताकत भर देता है ।

प्रयोग नं:3
गिलोय का सत् ,
शिलाजीत शुद्ध,
पिप्पली ,
लौह भस्म 100 पुटी ,
अभ्रक भस्म 100 पुटी ,
रजत भसम ,
प्रवाल पिष्टी सब समान भाग लेकर मिला लें ।
1 या 2 रत्ती माखन मलाई या शहद से चाटकर दूध पी लें ।
वीर्य का पतलापन ,वीर्य की कमी ,शुक्राणु की कमी ,धांत आदि में लाभ देता । बल बुद्धि की वृद्धि करता है ।
हर भस्म पिष्टी किसी अच्छी कंपनी की ही लें न मिलने की सूरत में आप किसी अच्छे वैद्य से ले लें या खुद बनावें । जड़ी बूटी आप पंसारी से जो ज्यादा पुरानी और कीड़ा लगी न हो वो ही लें

 लिंग का पतलापन दूर करने का मेरा अनुभूत नुस्खा :-

मित्रों बात कुछ यह है कि जैसे बताया जाए अगर वैसे बना लिया जाए तो रिजल्ट तो 101% मिलना ही मिलना है ।
नुस्खा और बनाने की विधि:-
काले कौंच की जड़ ,
सेमल की जड़,
गूलर की जड़,
कनेर की जड़,
असगंध मूल ,
विधारा मूल ।
खोते का मूत्र ,
गोमूत्र।
कौंच की जड़ से लेकर विधारा मूल तक सब औष्धिया समवजन मिलाकर रख लें ।
उसके बाद मिट्टी के खरल में डालदें ।
खोते का ताजा मूत्र डालकर रोज घोटें । मूत्र उतना ही डालें जिससे रोज सूख जाएं । ऐसा 90 दिन करें ।
उसके बाद गोमूत्र में 5 दिन भिगोकर घोटें ।
सुखाकर रख लें ।
प्रयोग विधि :- लिंग को गुनगुने पानी से धोकर अपने थूक ,औरत के मूत्र या दूध से गीला करके दवा को लिंग पर लेप करके पान का पत्ता बांधें । 21 दिन के प्रयोग से आप लिंग में आया मोटापन देखकर हैरान हो जाएगें । अत: यह प्रयोग जरूरतमंद ही करें ,अपनी पत्नि या पार्टनर को तकलीफ देने की नियत से यह प्रयोग कभी न करें । लेकिन जिनकी पार्टनर आपके लिंग की मोटाई से संतुष्ट न हो वह इसका प्रयोग कर सकते है । जिनके पार्टनर का योनिमुख खुला हो वह यह प्रयोग करके खुद और अपने पार्टनर दोनों आनंद मयी जीवन व्यतीत कर सकते है । जो चाहते है कि उनकी पार्टनर का गुप्तअंग कुवांरी लड़की जैसा हो जाए वो मेरी “ औरतों के गुप्त अंग टाईट करने वाली " पोस्टदेख सकते है । 

गुटखा तम्बाकू आदत को छोड़ने का एक उपाय

गुटखा तम्बाकू आदत को छोड़ने का एक उपाय

सामग्री:-
1. 100 ग्राम सौंफ,
2. 10 ग्राम अजवाइन
3. सेंधा नमक
4. दो निंबु

विधि: " मसाला,शराब या गुटखा खाने की आदत को छोड़ने के लिए 100 ग्राम सौंफ, 10 ग्राम अजवाइन और थोड़ा सेंधा नमक लेकर उसमें दो निंबुओं का रस निचोड़ के तवे पर सेंक लें ।

 यह मिश्रण जेब में रखें। जब भी उस घातक पान मसाले की याद सताये, जेब से थोड़ा - सा मिश्रण निकाल कर मुँह में डालें ।

 इससे आपका पाचनतंत्र भी ठीक रहेगा और रक्त की शुद्धि भी होगी ।

बीडी सिगरेट तंबाकू छोड़ना -
आपका निश्चय और संकल्प मजबूत हो तो कोई चीज असम्भव नहीं है -

होमियोपेथी दवा Tebacum 200 की 8 -10 गोली दिन मेँ दो बार मुंह मेँ डालकर चूसे -
Caladium 30 पावर की 7-8 गोली मुंह मेँ डालकर चूसने चाहिए- दिन मेँ तीन से चार बार इसका सेवन करने से व्यक्ति को बीडी , तंबाकू से येसे ही नफरत हो जाती हे जैसे न सेवन करने वाले को होती है- लाभ होने तक दोनो दोनो का सेवन करते रहे-

दोस्तो !  अपना फीडबैक ज़रूर दें और ज्यादा से ज्यादा दोस्तो को बताये

बहुत दोस्तो का भला होगा


प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ

🍁प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ🍁

🔷केसरिया रंगः पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें। सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें।

 🔷यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है। इसमें औषधिय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है।

🔷सूखा हरा रंगः मेंहदी या हिना का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें।

🔷आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है।

🔷सूखा पीला रंगः हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।

🔷गीला पीला रंगः एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं। अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी भिगोकर रखें, सुबह उबालें।

🔷लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें।

🔷पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें | (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें |

🔷पीला रंग : (१) २ चम्मच हल्दी चूर्ण २ लीटर पानी में उबालें | (२) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें |

🔷जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें |

🔷काला रंग : आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रातभर भिगोयें |

🔷लाल रंग : (१) आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी चूर्ण व चुटकीभर चुना मिलाकर १० लीटर पानी में डाल दे | (२) २ चम्मच लाल चंदन चूर्ण १ लीटर पानी में उबाले |

🔷लाल गुलाल : सूखे लाल गुडहल के फूलों का चूर्ण उपयोग करें |

🔷हरा रंग : (१) पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी भिगोकर उपयोग करें | (२) गेहूँ की हरी बालियों को पीस लें |

🔷हरा गुलाल : गुलमोहर अथवा रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें |

🔷भूरा हरा गुलाल : मेहँदी चूर्ण के साथ आँवला चूर्ण मिला लें |

🍁केमिकल रंग छूटाने के लिए🍁

🔷यदि किसीने आप पर रासायनिक रंग लगा दिया हो तो तुरंत ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व् तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगे हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिए |

🔷यदि उबटन लगाने से पूर्व उस स्थान को नींबू से रगड़कर साफ़ कर लिया जाय तो रंग छूटने में और अधिक सुगमता होती है |

टाईफ़ायड का उपचार

टाईफ़ायड का उपचार..
गिलोय घनवटी लीजिए.
बहुत छोटे बच्चे हैं तो आधी गोली
8 से 10 साल के बच्चे हैं तो एक एक गोली
बड़े हैं तो 2 - 2 गोली दिन में तीन बार दें |( सुबह दोपहर शाम )
बड़ों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें ) (8 से 10 मुन्नका )
अंजीर (4 से 5 अंजीर)
खूबकला(राइ से भी छोटा दाना जैंसा होता है ) 2 ग्राम
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
छोटे बच्चों के लिए :-
मुनक्का(बीज निकाल लें )(2 से 3 मुन्नका)
अंजीर (1 से 2 अंजीर)
खूबकला (1 ग्राम)
इनको लेकर पीस कर चटनी बना ले फिर शहद के साथ सुबह दोपहर शाम को खा ले
सावधानियां :-
खाने में परहेज करे |
तला-गला न खाएं |
क्या खाएं :-
दूध पियें (देशी गाय का हो तो सबसे अच्छा है )
चीकू खाएं
सेब खाएं
पपीता खाएं
मुंग की दाल का पानी या पतली मुंग की दाल खाएं |
बस ये सब करलें आपका टाईफाईड ठीक हो जायेगा 10 दिन के अन्दर |
ये सभी वस्तु आपको किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाएँगी.

दांत दर्द

दांत दर्द
दांत दर्द कई कारणों से होता है मसलन किसी तरह के संक्रमण से या डाईबिटिज की वजह से या ठीक ढंग से दांतों की साफ सफाई नहीं करते रहने से। यूँ तो दांत दर्द के लिए कुछ ऐलोपैथिक दवाइयां होती हैं लेकिन उनके बहुत हीं कुप्रभाव होते हैं जिसकी वजह से लोग चाहते हैं की कुछ घरेलू उपचार से इसे ठीक कर लिया जाये। अगर आप भी दांत दर्द से परेशान है एवं इसके उपचार के लिए प्रभावकारी घरेलू उपाय चाहते हैं तो नीचे दिए गए उपायों पर अमल करें।

हींग - जब भी दांत दर्द के घरेलू उपचार की बात की जाती है, हींग का नाम सबसे पहले आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह दांत दर्द से तुरंत मुक्ति देता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसन है। आपको चुटकी भर हींग को मौसम्मी के रस में मिलाकर उसे रुई में लेकर अपने दर्द करने वाले दांत के पास रखना है। चूँकि हींग लगभग हर घर में पाया जाता है इसलिए दांत दर्द के लिए यह उपाय बहुत सुलभ, सरल एवं कारगर माना जाता है।

लौंग -- लौंग में औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु (जर्म्स, जीवाणु) का नाश करते हैं। चूँकि दांत दर्द का मुख्य कारण बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का पनपना होता है इसलिए लौंग के उपयोग से बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का नाश होता है जिससे दांत दर्द गायब होने लगता है। घरेलू उपचार में लौंग को उस दांत के पास रखा जाता है जिसमें दर्द होता है। लेकिन दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य की जरुरत होती है।

प्याज -- प्याज (कांदा ) दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। ऐसा करने के कुछ हीं देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा।

लहसुन -- लहसुन भी दांत दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। असल में लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो अनेकों प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखते हैं। अगर आपका दांत दर्द किसी प्रकार के संक्रमण की वजह से होगा तो लहसुन उस संक्रमण को दूर कर देगा जिससे आपका दांत दर्द भी ठीक हो जायेगा। इसके लिए आप लहसुन की दो तीन कली को कच्चा चबा जायें। आप चाहें तो लहसुन को काट कर या पीस कर अपने दर्द करते हुए दांत के पास रख सकते हैं। लहसुन में एलीसिन होता है जो दांत के पास के बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देता है। लेकिन लहसुन को काटने या पीसने के बाद तुरंत इस्तेमाल कर लें। ज्यादा देर खुले में रहने देने से एलीसिन उड़ जाता है जिससे बगैर आपको ज्यादा फायदा नहीं होता।

गरारे (गार्गल) करें
गरारे भी दांत दर्द दूर करने का एक अति उत्तम घरेलू उपाय है। हल्के गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें। ऐसे नमकीन पानी से दिन में दो चार बार कुल्ला किया करें। नमक के संपर्क में आने के बाद मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया नष्ट हो जाते हैं जिसकी वजह से आपको दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
सलाह
जब दांत दर्द हो तब मीठे पदार्थ खाने या पीने से परहेज करें क्योंकि ये बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को और बढ़ावा देते है जिनसे आपकी तकलीफ और बढती है

ईसबगोल

 ईसबगोल से आतो की सफाई 

- बाजार में मिलने वाला ईसबगोल झाड़ी का आकार में उगने वाले एक पौधे के बीज का छिक्कल है।

कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ईसबगोल को बहुत अधिक महत्त्व प्राप्त है। संस्कृत में इसे स्निग्धबीजम् नाम दिया गया है।

कि दसवीं सदी के फारस के मशहूर हकीम अलहेरवी और अरबी हकीम अविसेन्ना ने इसे 'ईसबगोल' नाम दिया।

कि ईसबगोल का उपयोग रंग-रोगन, आइस्क्रीम और अन्य चिकने पदार्थों के निर्माण में भी किया जाता है

हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति मूलतः प्राकृतिक पदार्थों और जड़ी-बूटियों पर आधारित थी। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में साध्य-असाध्य रोगों का इलाज हम प्रकृति प्रदत्त वनस्पतियों के माध्यम से सफलतापूर्वक करते थे। समय की धुंध के साथ हम कई प्राकृतिक औषधियों को भुला बैठे। 'ईसबगोल' जैसी चमत्कारिक प्राकृतिक औषधि भी उन्हीं में से एक है। हमारे वैदिक साहित्य और प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।

विश्व की लगभग हर प्रकार की चिकित्सा पद्धति में 'ईसबगोल' का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अरबी और फारसी चिकित्सकों द्वारा इसके इस्तेमाल के प्रमाण मिलते हैं। दसवीं सदी के फारस के मशहूर हकीम अलहेरवी और अरबी हकीम अविसेन्ना ने 'ईसबगोल' द्वारा चिकित्सा के संबंध में व्यापक प्रयोग व अनुसंधान किए। 'ईसबगोल' मूलतः फारसी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- 'पेट ठंडा करनेवाला पदार्थ', गुजराती में 'उठनुंजीरू' कहा जाता है। लेटिन भाषा में यह 'प्लेंटेगो ओवेटा' नाम से जाना जाता है। इसका वनस्पति शास्त्रीय नाम 'प्लेटेगा इंडिका' है तथा यह 'प्लेटो जिनेली' समूह का पौधा है।

तनारहित पौधा

'ईसबगोल' पश्चिम एशियाई मूल का पौधा है। यह एक झाड़ी के रूप में उगता है, जिसकी अधिकतम ऊँचाई ढाई से तीन फुट तक होती है। इसके पत्ते महीन होते हैं तथा इसकी टहनियों पर गेहूँ की तरह बालियाँ लगने का बाद फूल आते हैं। फूलों में नाव के आकार के बीज होते हैं। इसके बीजों पर पतली सफ़ेद झिल्ली होती है। यह झिल्ली ही 'ईसबगोल की भूसी' कहलाती है। बीजों से भूसी निकालने का कार्य हाथ से चलाई जानेवाली चक्कियों और मशीनों से किया जाता है। ईसबगोल भूसी के रूप में ही उपयोग में आता है तथा इस भूसी का सर्वाधिक औषधीय महत्व है। 'ईसबगोल' की बुआई शीत ऋतु के प्रारंभ में की जाती है। इसकी बुआई के वास्ते नमीवाली ज़मीन होना आवश्यक है। आमतौर पर यह क्यारियाँ बनाकर बोया जाता है। बीज के अंकुरित होने में करीब सात से दस दिन लगते हैं। 'ईसबगोल' के पौधों की बढ़त बहुत ही मंद गति से होती है।

औषधीय महत्व

यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसके बीजों को शीतल, शांतिदायक, मलावरोध को दूर करनेवाला तथा अतिसार, पेचिश और आंत के ज़ख्म आदि रोगों में उपयोगी बताया गया है। प्रसिद्ध चिकित्सक मुजर्रवात अकबरी के अनुसार नियमित रूप से 'ईसबगोल' का सेवन करने से श्वसन रोगों तथा दमे में भी राहत मिलती है। अठारवीं शताब्दी के प्रतिभाशाली चिकित्सा विज्ञानी पलेमिंग और रॉक्सवर्ग ने भी अतिसार रोग के उपचार के लिए 'ईसबगोल' को रामबाण औषधि बताया। रासायनिक संरचना के अनुसार, 'ईसबगोल' के बीजों और भूसी में तीस प्रतिशत तक 'क्यूसिलेज' नामक तत्व पाया जाता है। इसकी प्रचुर मात्रा के कारण इसमें बीस गुना पानी मिलाने पर यह स्वादरहित जैली के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसके अतिरिक्त 'ईसबगोल' में १४.७ प्रतिशत एक प्रकार का अम्लीय तेल होता है, जिसमें खून के कोलस्ट्रोल को घटाने की अद्भुत क्षमता होती है।

आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में भी इन दिनों 'ईसबगोल' का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। पाचन तंत्र से संबंधित रोगों की औषधियों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। अतिसार, पेचिश जैसे उदर रोगों में 'ईसबगोल' की भूसी का इस्तेमाल न केवल लाभप्रद है, बल्कि यह पाश्चात्य दवाओं दुष्प्रभावों से भी सर्वथा मुक्त है। भोजन में रेशेदार पदार्थों के अभाव के कारण 'कब्ज़' हो जाना आजकल सामान्य बात है और अधिकांश लोग इससे पीड़ित हैं। आहार में रेशेदार पदार्थों की कमी को नियमित रूप से ईसबगोल की भूसी का सेवन कर दूर किया जा सकता है। यह पेट में पानी सोखकर फूलती है और आँतों में उपस्थित पदार्थों का आकार बढ़ाती है। इससे आँतें अधिक सक्रिय होकर कार्य करने लगती है और पचे हुए पदार्थों को आगे बढ़ाती है। यह भूसी शरीर के विष पदार्थ (टाक्सिंस) और बैक्टीरिया को भी सोखकर शरीर से बाहर निकाल देती है। इसके लसीलेपन का गुण मरोड़ और पेचिश रोगों को दूर करने में सहायक होता है।

कुछ घरेलू प्रयोग
'ईसबगोल' की भूसी तथा इसके बीज दोनों ही विभिन्न रोगों में एक प्रभावी औषधि का कार्य करते हैं। इसके बीजों को शीतल जल में भिगोकर उसके अवलेह को छानकर पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। नाक से खून बहने की स्थिति में 'ईसबगोल' के बीजों को सिरके के साथ पीसकर कनपटी पर लेप करना चाहिए।

कब्ज़ के अतिरिक्त दस्त, आँव, पेट दर्द आदि में भी 'ईसबगोल की भूसी' लेना लाभप्रद रहता है। अत्यधिक कफ होने की स्थिति में ईसबगोल के बीजों का काढ़ा बनाकर रोगी को दिया जाता है। आँव और मरोड़ होने पर एक चम्मच ईसबगोल की भूसी दो घंटे पानी में भिगोकर रोज़ाना दिन में चार बार लेने तथा उसके बाद से दही या छाछ पीने से लाभ देखा गया है।

ईसबगोलल की भूसी को सीधे भी दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है या एक कप पानी में एक या दो छोटी चम्मच भूसी और कुछ शक्कर डालकर जेली तैयार कर लें तथा इसका नियमित सेवन करें।

ईसबगोल रक्तातिसार, अतिसार और आम रक्तातिसार में भी फ़ायदेमंद है। खूनी बवासीर में भी इसका इस्तेमाल लाभ पहुँचाएगा। पेशाब में जलन की शिकायत होने पर तीन चम्मच ईसबगोल की भूसी एक गिलास ठंडे पानी में भिगोकर उसमें आवश्यकतानुसार बूरा डालकर पीने से यह शिकायत दूर हो सकती है। इसी प्रकार कंकर अथवा काँच खाने में आ जाए, तो दो चम्मच ईसबगोल की भूसी गरम दूध के साथ तीन-चार बार लेने पर आराम मिलता है।

लोकप्रिय औषधि
सामान्यतः ईसबगोल की भूसी का और बीजों का उपयोग रात्रि को सोने से पहले किया जाता है, किंतु आवश्यकतानुसार इन्हें दिन में दो या तीन बार भी लिया जा सकता है। ईसबगोल की भूसी का सामान्य रूप से पानी के साथ सेवन किया जाता है। कब्ज़ दूर करने के लिए इसे गरम दूध के साथ और दस्त, मरोड़, आँव आदि रोगों में दही अथवा छाछ के साथ सेवन करने का नियम है। सामान्यतः एक या दो चम्मच ईसबगोल की भूसी पर्याप्त रहती है।

ईसबगोल पाचन संस्थान संबंधी रोगों की लोकप्रिय औषधि होने के साथ-साथ इसका उपयोग रंग-रोगन, आइस्क्रीम और अन्य चिकने पदार्थों के निर्माण में भी किया जाता है। आजकल तो औषधीय गुणों से युक्त ईसबगोल की भूसी से गर्भ निरोधक गोलियाँ भी बनने लगी हैं। सचमुच ईसबगोलल एक चमत्कारिक औषधि है।
 क्या आपके बच्चे को नींद में पेशाब करने की आदत है? इसके घरेलु अचूक उपाय

नींद में पेशाब करना (असंयतमूत्रता)
यह रोग अधिकतर बच्चों में पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित बच्चा रात को सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देता है। अक्सर 2 वर्ष तक के बच्चे इस रोग से ज्यादा ग्रस्त होते हैं। लेकिन अगर 3 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले बच्चों को भी इस प्रकार की शिकायत बनी रहे तो उस अवस्था को असंयतमूत्रता कहते हैं। यह अवस्था लड़कियों की अपेक्षा लड़कों तथा 3 वर्ष से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अधिक पाया जाता है। कई बच्चों में तो यह रोग इतना अधिक बढ़ जाता है कि बच्चे सोते ही बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं तथा कुछ पहली नींद आते ही तथा कुछ आधी रात के बाद या सुबह होने से कुछ घंटे पहले ही पेशाब कर देते हैं। कुछ बच्चों में यह रोग मौसम के अनुसार होता है जैसे- सर्दियों और बरसात के मौसम में। यह रोग उन बच्चों को अधिक होता है जिन्हें नींद अधिक आती है।

• कारण : नींद में पेशाब करने के कई कारण होते है जैसे- बढ़ी हुई उत्तेजना, अधीरता या मानसिक तनाव , शरीर में खून की कमी , शारीरिक रूप से अधिक कमजोर होना तथा कुछ बच्चों को रात में पेशाब करने की आदत पड़ना आदि। इस रोग के अन्य कारण भी हो सकते है जैसे- पेट में कीड़े होना , लिंगमुण्ड की कठोरता, अतिशय अम्लता, शाम को तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना या फिर शरीर के मसाने की पेशियों का अनुपयुक्त विकास होना आदि। यह रोग अनेक रोगों के कारण भी हो सकता है जैसे- मधुमेह , पेशाब सम्बन्धी बीमारियों, गिल्टियां, लगातार पीठ के बल लेटना या पेशाब सम्बन्धी बीमारी होना आदि।

• उपचार : इस रोग से पीड़ित रोगी के पैर के तलुवों पर सुबह के समय में मध्यमशक्ति के चुम्बक को लगाना चाहिए तथा शाम के समय में शरीर के सूचीवेधन बिन्दु Sp-6 पर तथा सूचीवेधन बिन्दु Cv-2 पर चुम्बक का प्रयोग करना चाहिए। रात को सोते समय अपने मसाने के ऊपरी भाग में लाल तेल लगाना चाहिए।

• अन्य उपचार : इस रोग से ग्रस्त बच्चे को सुबह के समय में कसरत करनी चाहिए, ताजी हवा लेनी चाहिए और सुबह के वक्त ठण्डे पानी से नहाना चाहिए। बच्चे के घर वालों को कोशिश करनी चाहिए कि उनके इस रोग से ग्रस्त बच्चे को किसी प्रकार की अधीरता तथा मानसिक तनाव न हो पाये। जिन बच्चों को नींद में पेशाब करने की आदत हो उन्हें शाम के समय में अधिक तरल पदार्थो का सेवन नहीं करने देना चाहिए। किसी व्यक्ति को मधुमेह या गिल्टियां निकलने जैसी बीमारियां हो जाये तो उसका तुरन्त इलाज करना चाहिए। रात के समय में बच्चे को भोजन में मछली तथा अण्डा खिलाना चाहिए तथा गर्म पदार्थों को अधिक मात्रा में प्रयोग करना चाहिए क्योंकि ये गर्म पदार्थ नींद में पेशाब करने को कम कर देते हैं। रोगी बच्चे को ठण्डी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

• सुबह :-  खजूर 2-3 रात में भिगोया और सुबह में चबा चबाकर खाना ।
• प्रात: का भोजन :-  दाल में रार्इ की छौंक खाना
• रात मे :-  खजूर + मुनक्का + शहद के साथ 
• पथ्य :-  तेल से मूत्र के स्थान और पेट पर मालिश, पुराना चावल, उड़द, परवल, कुम्हड़ा की सब्जी, हरड़, नारियल, सुपारी, खजूर, रात में सोने से पहले पेशाब जायें, पानी सोते समय कम पीयें।

• अपथ्य :-  मिर्च, मसालेदार, भोजन, पेशाब रोकना। 

★ रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम ★
• पानी के सामान्य नियम : 

1. सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं । 

2. पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें । 

3. भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें । 

4. पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें। 

• भोजन के सामान्य नियम : 

1. सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें । 

2. यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से २ बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ । 

3. सुबह दही व फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है । 

4. भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में ३ बार से अधिक ना खाएं । 

• अन्य आवश्यक नियम : 

1. मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है । 

2. किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।  

3. चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें । 

4. आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें । 

5. मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें ।